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वातावरण खुशनुमा और संस्कारक्षम हो
घरेलू वातावरण जहाँ संयुक्त परिवार पहले एक ही जगह इकट्ठे हो रहा करते थे ,परन्तु वक्त के साथ धीरे धीरे परिवेश
बदल रहा है ,बदलते परिवेश के संग बदलते जीवन मूल्य अब हमारे अभिन्न अंग बन गये हैं ।

नरेश और हितेश काका ताऊ के भाई थे चार पीढ़ियां एक ही
परिसर एक अहाते ,एक आंगन का साझा उपयोग कर रहे थे हालांकि सबका अपना अपना हिस्सा था ।

बुजुर्गवार दोनों परिवारों के कूच कर गए थे अब बच्चे बड़े हुए नौकरी,शादी और उनके बच्चे भी वही बड़े होने लगे ,
स्वाभाविक था कम जगह की वज़ह से रोज रोज किचकिच
होने लगी वाक् युद्ध हाथापाई का रूप धारण करने लगा !

महिलाएँ हाँ ब्याहताएँ भी अपशब्द ,अशोभन शब्दों का प्रयोग करने लगी धीरे धीरे फ़िजाएँ जहरीली होने लगी !
एक वक्त ऐसा आया कि हितेश जो सीधा सादा बन्दा था ,...