...

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बस इतना सा साथ 65
नेहा सोने जा रही होती है, कि तभी नेहा की मम्मी आती हैं ।
नेहा की मम्मी - नेहा।
नेहा - हाँ जी।
नेहा की मम्मी- सो गई थी ?
नेहा - बस सोने जा रही थी । कुछ काम था ?
नेहा की मम्मी - हाँ वो तुझे नाप लाने को कहा
था , लेकर आई ।
नेहा - शाम के वक़्त कहाँ फ़ुरसत होती है। कल
दिन में ले आऊँगी ।
नेहा की मम्मी - तू यूँही आनाकानी करती रहेगी,
लगता है मुझे ही जाना पड़ेगा ।
नेहा- वो आपकी मर्जी है ।
नेहा की मम्मी - शैतान लड़की , ये नहीं कह
सकती कल पक्का ले आऊँगी।
नेहा - वो मुझे खुद नहीं पता , कहीं कल कोई
और काम ज्यादा जरूरी आ गया तो ।
नेहा की मम्मी - हाँ हैं ना और जरूरी , बच्चे और
उनकी पढ़ाई ।
नेहा - अब आप बच्चों पर मत जाओ। आपका
काम हो जाएगा । अभी आप भी जाकर
सो जाओ , कल सुबह जल्दी कलश
स्थापना भी करनी है।
नेहा की मम्मी - हाँ, तू भी सो जा । और कल
याद से लहंगे का नाप तो ले ही आना ।
पता चला तेरे फँसे ही ना लहंगा।
नेहा - हम्म । ( वरना लहंगे के फिट की लड़की ढूंढनी पड़ेगी । )
( मम्मी चली जाती हैं । नेहा अपने आप में मुस्कुराती है और कहती । )
पागल लड़की कुछ भी सोचती है ।
( लाइट ऑफ कर लेटी ही थी कि फोन वाइब्रेट होने लगता है। नेहा बिना आँखें खोले ही फोन को तकिए के नीचे रख देती है , और खुद से कहती है। )
नेहा- अभी नहीं, आज जल्दी सोना है।
( फोन फिर से वाइब्रेट होता है , नेहा झुंझला के आँख खोलती है। )
चैन नहीं है इनको भी । ( देखती है मनीष का ही मैसेज होता है। ) पता था मुझे आप ही
होगे । ( मैसेज खोलती है और पढ़ती है । )
मनीष - hii
आपके लिए एक खबर है।
कहाँ हो ?
ज़वाब तो दो ।
सो गए क्या ?
??
नेहा- ( अपने आप से ) रेलगाड़ी से तो मैसेज
कर रहे हो , इंसान पढ़े या ज़वाब दे । सोने
का क्या है , आप तो सोते हुए को जगा दो ।
स्विच ऑफ करके रख देती हूँ, कल बात
करूँगी । ( पर इससे पहले कि स्विच ऑफ करती , मनीष का मैसेज आ जाता है। )
मनीष - आप जग रहे हो , मुझे तो लगा सो गए ।
नेहा- सो भी रही होती , तो भी आपके इतने मैसेज जगह देते ।
मनीष - इतनी कच्ची नींद है आपकी ।
नेहा- हम्म ।
मनीष- मुझे तो कुछ बताना था आपको।
नेहा- यही की आपकी मम्मी सगाई का लहंगा ले
आई हैं।
मनीष - तुम्हें कैसे पता।
नेहा- फोन किया था उन्होंने मम्मी को ।
मनीष - ( अपने आप से । ) ये मम्मी को ऑल
इंडिया रेडियो बनने में देर नहीं लगती है।
( फिर मैसेज करता है । ) अब क्या कहूँ
सोचा था मैं बताऊँगा।
नेहा - कोई नहीं वो बताए या आप बताओ , एक
ही बात है।
मनीष - ( अपने आप से । ) एक ही बात है , मेरी
कोई स्पेशल जगह नहीं है। तू भी मनीष ,
तेरी ही तो मम्मी हैं। अच्छा है मम्मी को
तुझसे कम नहीं मानती। पर ये क्या
आपकी मम्मी लगा रखा है, मम्मी जी से
सीधा आपकी मम्मी । ( सोच ही रहा था , कि नेहा का मैसेज आ जाता है। )
नेहा - चलो फिर , कल बात करते हैं।
गुड नाइट।
मनीष - इतनी जल्दी ।
नेहा- कल से नवरात्रि है , सुबह जल्दी उठना है।
मनीष- तो आप पूरे नौ दिन रखोगे ?
नेहा- हमेशा रखती हूँ।
मनीष - इतने व्रत ना रखा करो जी ।
नेहा - कल बात करें।
मनीष - ok
गुड नाइट।
नेहा - bye
( नेहा फोन रख अपने आप से कहती है। )
ok , बोल तो रहे हैं पर ये रुकेंगे नहीं। फोन
को साइलेंट कर और सो जा , वरना माता
रानी का जगराता आज ही हो जाना है। ( और फोन साइलेंट कर सो जाती है । उधर मनीष सोचता है। )
मनीष - नाइट शिफ्ट का भी कोई फायदा नहीं।
इसमें फ्री हो कर भी उनसे कोई बात नहीं
हो पाती है। उनको सुबह जल्दी उठना है,
इसलिए जल्दी सोना भी होता है। वैसे बात
उठने की ही है तो मैं उठा सकता हूँ , नाइट
शिफ्ट में इनकी मॉर्निंग अलार्म बनने में क्या
दिक्कत है। ( और यही सोच नेहा को मैसेज करता है । )
बोलो तो मैं उठा दूँ।
( मैसेज करा ही होता है, कि तभी सरदार आता है। )
सरदार- सीनियर वो ..... ( मनीष के हाथ में फोन
देख रुक जाता है, और कहता है । ) अच्छा
बिजी हो , कोई नहीं आप करो भीजी नाल
गल्लाॅ । मैं थोड़ी देर में आता हूँ।
( और और वापस जाने लगता है ।
मनीष सरदार को आवाज लगाता है ।
मनीष-(फोन को जेब में डालते हुए । ) कोई गल्ला शललां नहीं हो रही । फ्री हूँ फिलहाल तो , बोल क्या काम है ।
सरदार - (अंदर आते हुए ) क्या सीनियर मुझसे
तो मत छुपाओ । हम भी शादी के इस
पहले वाले वक़्त से गुजर चुके हैं हमें भी
पता है शादी से पहले इरादे कितनी लंबी
लगती हैं और लंबी बातें कितनी छोटी
लगती हैं ।
मनीष - ( सरदार के हाथ से फाइल लेते हुए। )
ओ यहाँ कोई लंबी बातें, लंबी रातें नहीं
होती । चार मैसेज में बात शुरू होती है,
और चार में ही खत्म हो जाती है।
सरदार- कोई ना आपने नहीं बताना तो मत
बताओ। मैं कौन-सा पूछ रहा हूँ आपसे।
मनीष- कुछ होगा बताने का तब ना बताऊँगा।
दिन भर वो अपनी क्लास में बिजी रहती
हैं। तुझे पता है कभी कॉल करती हैं तो भी
कब?
सरदार- कब ?
मनीष - जब वो रास्ते में होती है, या तो अपने
इंस्टिट्यूट से घर या घर से इंस्टिट्यूट और
उसमें भी कभी उसके साथ उसकी बहन
होती है या कभी उसके साथ कोई बच्चा
होता है तो आधे वक़्त तो यही बोल कर
मना कर देती है कि अभी नहीं बाद में बात
करते हैं।
सरदार- तो घर आने के बाद कर लिया करो।
मनीष - उसमें भी उनका रूल है।
सरदार- रूल?
मनीष - हाँ, आठ बजे के बाद किसी का फोन
नहीं उठाती।
सरदार- तो आप किसी में थोड़ी गिने जाओगे।
मनीष - ( हँसते हुए। ) शादी तक तो मैं किसी में
ही गिना जाऊँगा।
सरदार-सीनियर, आपकी वाली तो कुछ ज्यादा
ही टीचर टाइप की है।
मनीष - टीचर ही तो है ।
सरदार - हाँ, वो तो मुझे पता है । मेरा मतलब था
घर पर भी टीचर है ।
मनीष - वो तो जब घर आएंगी तब पता चलेगा।
सरदार- ओए होए, घर आने का इंतजार हो रहा
है। बोलो तो अंकल आंटी से हम बात करें,
जट मंगनी पट ब्याह की ।
मनीष - और मैं बात करूँ, तेरी एंट्री की इन
गलतियों की । क्या ऑडिट किया है तूने ।
सरदार- आज क्या छूट गया ? मैंने तो निहारिका
से ....
मनीष- आज फिर तू किसी और से करवा कर
लाया है ।
सरदार - नहीं वो तो बस बगल में बैठी थी... करा
तो मैंने ही है ।
मनीष - वो सब जानते हैं, तेरे बगल में कोई बैठा
हो तो तू कितना काम करता है , और
कितना दूसरे से करवाता है।
सरदार - यार एक यही काम तो कराता हूँ, बाकी
सब तो मैं खुद ही करता हूँ।
मनीष - और यही एक काम आना चाहिए वरना
भूल जा तू प्रमोशन को भी।
सरदार- तो किस को पड़ी है प्रमोशन की।
मनीष-अच्छा किसको पड़ी है प्रमोशन की !
सरदार- हाँ, मतलब मिल जाए तो मिल जाए ।
वरना कौन सा .....
( तभी मनीष का ऑफिस का फोन बचता है । )
मनीष- हेलो , एसोसिएट मैनेजर मनीष
स्पीकिंग ।
हाउ मे आई हेल्प यू।
( फोन के दूसरी तरफ प्रेरणा होती है । )
प्रेरणा-हेलो सर, रिसेप्शन से प्रेरणा बोल रही हूँ ।
मनीष- हाँ, प्रेरणा बोलो क्या हुआ ।
प्रेरणा - होना क्या था सर, ये सरदार ने दूसरे
रुम की चाबी दूसरे को दे दी । और वो
रूम ऑलरेडी चेक-इन था। अब दोनों
गेस्ट आकर यहां पर लड़ रहे हैं और खूब
शोर मचा रखा है ।
मनीष - हाँ तो चिल्लाएंगे क्यूँ नहीं, छोटी बात
थोड़ी ही है ।
प्रेरणा- सर सरदार ने किया है , मैंने थोड़ी जो
आप मुझ पर चिल्ला रहे हो ।
मनीष- ( सरदार की तरफ देखते हुए। ) यार तू
सुधरेगा नहीं ।
सरदार -अब मैंने क्या कर दिया कर दिया ?
प्रेरणा-( फोन पर ही । ) तू इधर आ ।
मैं तुझे बताऊँ तूने क्या किया है ।
मनीष-तुम उनको देखो , और अगर कोई और
गेस्ट हैं वहाँ तो इन्हें....
प्रेरणा- फ़िलहाल तो कोई नहीं है, पर आप
जल्दी आइए ।
मनीष- ( सरदार से) तेरे क्या हर वक़्त बारह बजे
हुए होते हैं।
सरदार - क्या सर , आप भी ...
मनीष- किसी दिन तू अच्छा फसाएगा। ( जाते हुए। ) मेरी ही शिफ्ट में किया कर तू ये सारी
गडबड़ी।
( नेहा की सुबह नींद खुलती है , घड़ी में टाइम देखती है साढ़े तीन बज रहे थे । )
नेहा -( खुद से कहती है। ) अभी तो मम्मी भी
नहीं उठी होंगी । ( फिर फोन देखती है, मनीष का रात वाला मैसेज देखती है। )
मनीष-बोलो तो मैं उठा दूँ।
( नेहा मुस्कुराती है और खुद से कहती है । )
कभी- कभी बड़े क्यूट लगते हो आप । ( और फिर मनीष को मैसेज करती है । )
गुड मॉर्निंग, मैनेजर जी ।
थैंक्स बट नौ थैंक्स , मेरी नींद यूँही खुल
जाती है।
( उधर होटल में मनीष कम्यूटर पर काम कर रहा होता है , उसका फोन टेबल पर रखा होता है। तभी नोटिफिकेशन में दिल दिखाई देते हैं सरदार को और वो निहारिका को हाथ मारते हुए धीरे से कहता है । )
सरदार - मनीष सीनियर के फोन पर दिल वाले
मैसेज आ रहे हैं।
निहारिका- तू पागल है , सुबह के पौने चार बजे ।
सरदार- वही तो सुबह के पौने चार बजे, दिल
वाले मैसेज।
निहारिका - दिल वाले ।
सरदार- वो दिल वाले ..... अरे यार वो।
( निहारिका को कुछ समझ नहीं आ रहा होता है। )
मनीष - क्या वो - वो कर रहे हो ।
सरदार - कुछ नहीं वो किसी को शिकायत थी कि
वो बात नहीं करते । ( और निहारिका को
कहता है , अरे यार सर की होन वाली
वोटि। )
मनीष - कौन किसको याद नहीं करता ।
सरदार - वही जो दिन में....
निहारिका- छोड़ो इसको, इसकी आधी बातें तो
इसको खुद समझ नहीं आती हैं। वो मुझे
एक कॉल करना था मेरे फोन में बैलेंस
नहीं है , आप एक बार फोन अपना फोन
दोगे ।
मनीष - ( कम्प्यूटर पर ही ध्यान देते हुए। ) तुम
बैलेंस डालती कब हो ।
निहारिका- घर में वाई- फाई कॉलिंग है, यहाँ
आप दे ही देते हो फोन ।
सरदार - ( धीरे से निहारिका के कान में। ) तू
क्या करने वाली है ।
निहारिका- चुप कर तू । ( तभी मनीष कहता है। )
मनीष - मैंने कहाँ रख दिया फोन ( अपनी जेबों में फोन को देखते हुए। )
सरदार- ये रहा सीनियर। ( और मनीष की तरफ देने लगता है, निहारिका हाथ बढ़ा कर लेती है और कहती है। )
निहारिका- सामने है और मुझे दिखा ही नहीं। ( और फोन खोलने लगती है, तो स्क्रीन पर फिंगर प्रिंट स्कैनर देखती है। और आँखें उचका सरदार को दिखाती है। ) क्या बात है सर,
पासवर्ड और वो भी फिंगर प्रिंट।
मनीष - लगाना ही पड़ेगा वरना तुम जैसे
शैतान ..... ( और निहारिका के हाथ से फोन लेने लगता है । पर निहारिका हाथ पीछे कर लेती है । ) तुम फोन दो इधर।
निहारिका- अरे, हमें भी देखने दो दिल के पीछे
की बातें।
मनीष - दिल..... , अब तुम फोन दो इधर । निहारिका - ऐसे नहीं। पहले बताओ मुझे क्या
मिलेगा , सुबह- सुबह दिल की खबर दी
है मैंने।
मनीष - कोई दिल विल की खबर नहीं दी । तुम
दिल के पीछे पागल हो रहे हो । वो नहीं
भेजने वाली दिल विल कम से कम अभी
तो बिल्कुल नहीं।
निहारिका - रहने दो हम आपकी बातों में नहीं
आने वाले।
मनीष - मत मानो, वो दिल मैंने उनके नाम के
आगे लगाया हुआ है। अब भी तुम्हें रखना
है ,तो रख लो ।
( और वापिस अपने कमप्यूटर पर काम करने लग जाता है। )
निहारिका - ( सरदार से ।) ओए तूने क्या देखा।
सरदार- वही, जो ....
निहारिका- रहने दे, तेरा नाम गड़बड़ जटा होना
चाहिए।
( फिर मनीष के टेबल के पास जाती है । ) ।
सच्ची सर , आपने नाम के आगे दिल
लगाया है।
मनीष - हाँ जी , सेव है देख लो ।
निहारिका- हाउ रोमांटिक । कौन कहेगा आपकी
कभी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं थी। आपकी इस
बात ने मेरा दिल तो जीत लिया, और
पक्का मैडम को भी बहुत खुशी हुई
होगी। ( फोन देते हुए। )
ये लो आपका फोन।
मनीष- नहीं- नहीं रख लो।
निहारिका- सोच लो ।
मनीष - अब जब तुम दे ही रही हो , तो लाओ ।
( और फोन ले लेता । )
निहारिका- तो आप दोनों बात करो। कोई
डिस्टर्ब नहीं करेगा ।
( कहते हुए चले जाते हैं। )
मनीष - ( निहारिका की गर्लफ्रेंड वाली बात को याद करता है और खुद से कहता है । ) काश मैंने
कभी गर्ल फ्रेंड ही नहीं बनाई होती,
और ना कभी ......
( कहता हुआ चिंता में खो जाता है। )


© nehaa