प्रेम (अबोध अनुभूति) आनंदोस्मिता...
विषय-प्रेम (अबोध अनुभूति)
आनंदोस्मिता
प्रेम (अबोध अनुभूति)
बात उस समय की है जब आनंद 7वीं कक्षा में पढ़ता था।
पिताजी के स्थानांतरण के फलस्वरूप वह गाँव से परिवार के साथ शहर आया था और एक किराए के मकान में सबके साथ रहता था।
उस घर में बाहर जाने के दो रास्ते थे, दोनों ही रास्ते उस बड़े से पुराने समय के घर के दूर दूर थे।
जिस तरफ से आनंद और परिवार का निकास था उधर नीचे एक परिवार रहता था।
जिसमें तीन भाई और तीन बहनें थी।
सबसे छोटी लड़की जो अपनी दोनों बहनों से सबसे अलग थी।
अपनी दोनों बहनों की करतूत उसे जरा भी नहीं भाती थी, लेकिन छोटी होने के कारण वह भी मजबूर थी।
समय अपनी गति से चलता रहा, अब आनंद 9वीं में था, और स्मिता 10वीं में।
हाँ!स्मिता ही नाम था उसका, जो सारा दिन पता नहीं कहाँ रहती मगर आनंद के कॉलेज से आते ही छत पर, पहले से मौजूद रहती।
आनंद भी हाथ धोते हुए उसे देखकर बोलता,"अरे! तुम कब आईं, अभी तो यहाँ कोई नहीं था जब मैं आया"
स्मिता(सुम्मी) एकटक लाल होती सजल आँखों से देखते हुए जैसे कहीं खोई हुई सी यूँ ही बोलती "तुम वैसे भी कब देखते हो हमारी तरफ"" और इतना कहते हुए तेज़ी से चलते हुए, नीचे अपने घर की ओर चली जाती बिना कुछ सुने हुए ही।
आनंद बहुत देर तक सोचता रहता, "आख़िर वो रो...
आनंदोस्मिता
प्रेम (अबोध अनुभूति)
बात उस समय की है जब आनंद 7वीं कक्षा में पढ़ता था।
पिताजी के स्थानांतरण के फलस्वरूप वह गाँव से परिवार के साथ शहर आया था और एक किराए के मकान में सबके साथ रहता था।
उस घर में बाहर जाने के दो रास्ते थे, दोनों ही रास्ते उस बड़े से पुराने समय के घर के दूर दूर थे।
जिस तरफ से आनंद और परिवार का निकास था उधर नीचे एक परिवार रहता था।
जिसमें तीन भाई और तीन बहनें थी।
सबसे छोटी लड़की जो अपनी दोनों बहनों से सबसे अलग थी।
अपनी दोनों बहनों की करतूत उसे जरा भी नहीं भाती थी, लेकिन छोटी होने के कारण वह भी मजबूर थी।
समय अपनी गति से चलता रहा, अब आनंद 9वीं में था, और स्मिता 10वीं में।
हाँ!स्मिता ही नाम था उसका, जो सारा दिन पता नहीं कहाँ रहती मगर आनंद के कॉलेज से आते ही छत पर, पहले से मौजूद रहती।
आनंद भी हाथ धोते हुए उसे देखकर बोलता,"अरे! तुम कब आईं, अभी तो यहाँ कोई नहीं था जब मैं आया"
स्मिता(सुम्मी) एकटक लाल होती सजल आँखों से देखते हुए जैसे कहीं खोई हुई सी यूँ ही बोलती "तुम वैसे भी कब देखते हो हमारी तरफ"" और इतना कहते हुए तेज़ी से चलते हुए, नीचे अपने घर की ओर चली जाती बिना कुछ सुने हुए ही।
आनंद बहुत देर तक सोचता रहता, "आख़िर वो रो...