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पेदम्मा
आज  मैं आपको को ऐसी वीरांगना के बारे में बता रहा हूँ , जिसे नागिन भी कहा जाता हैं ।
इनको आज़ाद हिंद फौज की प्रथम जासूस होने का गौरव
प्राप्त हुआ है और आईएनए की रानी झाँसी ब्रिगेड में कैप्टन का भी पद दिया गया।
                                     नगीना को अपने जीवन के अंतिम दिनों  मे फूल बेच कर गुजरा करना पड़ा और ये फलक्नुम , हेदराबाद में एक  झोपड़ी में रहती थी , बाद  में इनकी ये झोपड़ी भी तोड़ दिया गया ।
इनकी मृत्यु  एक गरीब ,   असहाय , बीमार व्रद्ध के रूप में हुआ ।

कोने - कोने में एक ही आवाज़ थी
       तुझमें जीना हैं आज़ाद हो के...
रंग रूप न देखे हम  चले - चले साथ हो के
  तुझे आज़ाद करने चले हम दीवानो की टोली ले के...।

आइए इनकी कहानी पे थोड़ा रोशनी डालते हैं , इनको नगीना क्यों कहा जाता हैं ; कैप्टन होने के  बाबजूद  भी ,
व्रद्ध  होने पर  इनको फूल बेचकर जीवन यापन क्यों करना पड़ा  और इनकी झोपड़ी क्यों तोड़ दी गई  !

  नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को  संयुक्त प्रांत  खेकड़ा नगर के एक जाट परिवार में हुआ था।
     इनके धर्मपिता चौधरी सेठ छज्जूमल (चौधरी छज्जुराम) अपने समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिनका व्यापार देशभर में फैला हुआ था। खासकर कलकत्ता में इनके पिताजी के व्यापार का मुख्य केंद्र था, इनके धर्म पिता छज्जूमल ने इनकी प्रारम्भिक शिक्षा का प्रबंध कलकत्ता के निकट भगवानपुर ग्राम में किया था।
         नीरा आर्य हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली के साथ-साथ कई अन्य भाषाओं में भी प्रवीण थीं।
     इनकी शादी ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के संग हुई थी।
        श्रीकांत जयरंजन दास अंग्रेज भक्त अधिकारी था।श्रीकांत जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और उसे मौत के घाट उतारने की जिम्मेदारी दी गई थी।
   आपको जान कर हैरानी होगी
                                            इनके पति की मौत कैसे हुई और नारी नगीना क्यों कहा जाता हैं इन्हें ?
   दरअशल ,    बात यह हुई  नीरा आर्य ने ख़ुद अपने पति को मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि श्रीकांत दास ने नेताजी पर गोली चलाई थी और वो गोली नेताजी के ड्राइवर को  लग गई  ,  इसी में नीरा आर्य  ने नेताजी को बचने के लिए अपने पति को मौत की नींद सुला दी।

किसी अपने को ख़ुद से मौत की नींद में सुला देना कितना कठिन होता हैं ,जरा सोचिए तभी उनपर क्या बीती होगी।

   इसी घटना के बाद से इन्हें नेताजी ने उन्हें नागिनी कहा था। 
  आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी,जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई।
    आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
    इनकी झोपड़ी इसलिए तोड़ दी गई क्योंकि इनका घर सरकरी जमीन पर थी।
  ये चाहती तो अपना जीवन खुशी से यापन कर सकती थी लेकिन इनकी देशभक्ति  जुजन ने  इन्हें कष्ट भर दिए ।
  इनकी बलिदान को हम भुला नहीं सकते हैं।
इन्होंने जीवन के अंतिम दिनों में फूल बेचकर गुजारा किया और फलकनुमा, हैदराबाद में एक झोंपड़ी में रही। अंतिम समय में इनकी झोंपड़ी को भी तोड़ दिया गया था, क्योंकि वह सरकारी जमीन में बनी हुई थी। वृद्धावस्था में बीमारी की हालत में चारमीनार के पास उस्मानिया अस्पताल में इन्होंने रविवार 26 जुलाई, 1998 में एक गरीब, असहाय, निराश्रित, बीमार वृद्धा के रूप में मौत का आलिंगन कर लिया। भारत माता की विवादित पेंटिंग पर एमएफ हुसैन से उलझने वाले हिन्दी दैनिक स्वतंत्र वार्ता के एक पत्रकार तेजपाल सिंह धामा ने अपने सा​थियों संग मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया। नीरा का अस्थिकलश, निजी डायरी, कुछ ऐतिहासिक महत्व के पत्र, दुर्लभ फोटो एल्बम इत्यादि हैदराबाद के एक मंदिर में आज भी स्मारक की प्रतीक्षा में हैं।
नीरा नागिनी के नाम से इनके जीवन पर एक महाकाव्य भी है। इनके जीवन पर फिल्म का निर्माण भी होने की खबर है। यह एक महान देशभक्त, साहसी एवं स्वाभिवानी महिला थीं, जिन्हें गर्व और गौरव के साथ याद किया जाता है। हैदराबाद की महिलाएं इन्हें पेदम्मा कहकर पुकारती थीं। नीरा आर्य के नाम पर एक राष्ट्रीय पुरस्कार भी स्थापित किया गया है।
            प्रथम नीरा आर्य पुरस्कार के लिए छत्तीसगढ़ के अभिनेता  अखिलेश पांडे  का चयन किया गया है। एक भव्य समारोह में अखिलेश पांडे को नीरा आर्य सम्मान दिया गया। नीरा की जन्मस्थली खेकड़ा में एक स्मारक भी बनाने की घोषणा की गई है।
                 मैं आशा करता हूँ कि ये छोटी सी पेदम्मा पढ़ के आपलोग को बहुत अच्छा मासूस हुआ होगा और इनके बारे में और जानने के लिए  इच्छुक हो गए होंगे।


  


                          


#WritcoStoryPrompt53
Seeing a couple on television and suddenly it struck my mind... Oh shoot am I not facing similar problem? Or may be little more to this!
© shourya_S.Mishra💔 बेवफ़ा शायर💔

#history #freedom #woman