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सफर लम्बा है।।
#WritcoStoryPrompt51 #CovidStories
2020 and 2021 has been a difficult time for everyone but has also helped us connect more with our families. Share your experience in the form of a story about how this scenario shaped your life and you as a person.
कोरोना के चलते, आथिर्क तंगी से तो सभी गुज़र रहें हैं, पर यह कहानी एक ऐसे परिवार की है जो कोरोना काल में अपना सब कुछ हार गया। इस परिवार के पास अब बस एक दूसरे का साथ और हिम्मत है। तो शुरू करते कहानी......

राजपूतों के तो नाम से ही लोग उनकी इज़्ज़त करते हैं। यह परिवार भी इस ऊँची जाति का ही था।
परिवार के मुखिया का नाम मानसिघं था। इनकी पत्नी का नाम बीनू देवी था और इनके चार बच्चे थे-शालू, गौतम, जतिन,शीखा। मानसिघं जी का खुद का ऑटो डीलर का काम था। उनकी पत्नी घर में रहकर बच्चों की देखभाल करती थी। उनके चारों बच्चे अभी पढ़ रहे थे।
अब यह कहानी हैं पाँच साल पहले की .......

हँसते खेलते परिवार को न जाने किस की नज़र लग गई। अपनी जिंदगी में आने वाली उथल पुथल से अंजान हँसते मुस्कुराते बच्चे स्कूल से घर आए। हाथ मुँह धोकर चारों बच्चे खाना खाने बैठे ही थें कि तभी मानसिघं जी का एक दोस्त घर पर आया और उनकी पत्नी से कहने लगा कि आपके पति को पुलिस पकड़ कर ले गयी है। वह बहुत घबरा गयी उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करें। वह बेचारी तो कभी घर से बाहर निकली ही नहीं थी। उन्होंने अपने रिश्तेदारों को फोन करके अपने घर बुलाया। कुछ रिश्तेदार थाने जाकर पता करके आए कि क्या हुआ है, पर पुलिस वालों ने मानसिघं जी से न ही किसी को मिलने दिया और न ही बात करने दी। जब बीनू जी का मन नहीं माना तो वह सारी लाज शर्म छोड़ कर अपने बच्चों को अकेला घर पर छोड़ कर थाने चली गई। वहाँ जाकर वह थानेदार के आगे बहुत रोई और बोला कि मेरी एक बार उनसे बात करवा दो मुझे एक झलक ही दिखा दो उनकी, मुझे भी तसल्ली हो जाएगी कि मेरे पति यही पर है, मैं उनके लिए बहुत परेशान हूँ, पर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी।
एक थानेदार को बीनू जी पर तरस आ गया उसने बीनू जी से कहा मैं आपको आपके पति से मिलवा दूँगा पर आप किसी को बताना मत। वह डरी हुई तो थी पर मान गयी। वह पुलिस वाला उन्हें पीछे के रास्ते से मानसिघं जी के पास लेकर गया।
मानसिघं जी को बहुत मारा था पुलिस वालों ने। बीनू जी ने संयम बनाते हुआ पुछा कि क्या हुआ है उन्हें इस तरह से यहाँ क्यों लाया गया है। तब मानसिघं जी ने कहा कि एक आदमी (सतीश)ने उनसे किशतों पर ऑटो खरीदा था। किशतों पुरी न होने पर उन्होंने ऑटो अपनी दुकान पर खड़ा करा लिया। शाम को वह आदमी (सतीश)दारू के नशे में दुकान पर आकर तोड़ फोड़ कर रहा था। सतीश ने अपने ऑटो में बैठकर खुद को आग लगा ली है पुलिस को उसके जेब में एक लेटर मिला है जिसमें उसने लिखा है कि मैंने उसे जलाया है।
आगे मानसिघं जी कहते हैं - अब मुझे भी नहीं पता कि क्या होगा तुम बच्चों का ध्यान रखना। मैं जल्दी ही आ जाऊँगा , मैंने कुछ किया ही नहीं है। आज मुझे कोर्ट लेकर जा रहे हैं तुम परिवार में से चाचा या मेरे भाई को भेज देना खुद मत आना हमारे घर की औरतें बाहर नहीं निकलती। भाई या चाचा को मेरी बेैल के लिए बोल देना। आँखों में आंसू लिए बीनू जी वहाँ से चली गई।
कोर्ट की तारीख पर बीनू जी ने परिवार में सबसे कहाँ कोर्ट जाने के और मानसिघं जी बैल लेने के लिए पर कोई नहीं माना। थक - हार कर बीनू जी खुद कोर्ट गई। कोर्ट में बीनू जी को देखकर मानसिघं जी बहुत गुस्सा हुए। बीनू जी ने उन्हें बताया कि कोई भी यहाँ आने के लिए तैयार नहीं है और मैं आपको इस मुश्किल घड़ी में अकेला नहीं छोड़ सकती इसलिए मैं आ गई।

मानसिघं जी रो पड़े उन्हें अपने बच्चों की याद आ रही थी। उन्होंने कहा कि मेरे साथ- साथ तुम्हें बच्चों को भी देखना है। हिम्मत मत हारना हम अकेले ही सब कुछ ठीक कर लेंगे। एक दूसरे को आश्वासन देते हुए दोनों अलग हो गए।
घर आकर बीनू जी अपने बच्चों को गले से लगाया और कहा पापा जल्दी आ जाएंगे, अब जब तक पापा नहीं आते तब तक सब अपना ध्यान रखेंगे।
हफ्ते में एक बार बीनू जी मानसिघं जी से तिहाड़ जेल मिलने जाती थी। इस बीच मानसिघं जी की बड़ी बेटी शालू भी सयानी हो रही थी। अब बाप के पीछे उसकी बेटी पर किसी की सही नज़र नहीं थी। जब बीनू जी को इस बात का अंदाज़ा हुआ तो उन्होंने अपनी बेटी को समझाया कि उनके पीछे वह किसी भी आदमी को घर में न आने दे।
धीरे-धीरे बच्चों के स्कूल में भी सबको पता चल गया उनके पापा के बारे में स्कूल में बच्चे चिढ़ाने लग गए उन्हें, टीचर ढंग से बात नहीं करते थे मारते थे। और एक दिन स्कूल की फीस न दे पाने के कारण बच्चों का स्कूल से नाम कट गया।

बच्चों की पढ़ाई रुक गई, मानसिघं जी को जेल से निकालने के लिए बीनू जी ने कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी थी, पर हर बार निराशा ही हाथ लगती थी उनके। वकील अपने पैसे बना रहे थे, बीनूजी को एक अच्छें वकील की तलाश थी जो उनके पति को जेल से बाहर निकल वाए।
वकीलों के चक्कर में बहुत पैसा बर्बाद हो चुका था। मानसिघं जी का घर , दुकान ,ऑटो सब बिक गया। बीनूजी बच्चों को लेकर उनके पुराने घर जो कि एक झुग्गी थी वहाँ आकर रहने लगी। बैंक में करीब 2 लाख रूपये ही बचे थे । जैसे तैसे वह अपना और बच्चों का पेट काट - काट कर पैसे बचा रही थी। काम करने के लिए मानसिक जी ने मना किया था बीनू जी को।

झुग्गी में गंदगी के कारण मानसिक जी के छोटे बेटे जतिन को टि वी हो गया। इन सब चीजों से परेशान हो कर बीनू जी ने खुदखुशी करने की कोशिश की, पर भगवान की महर से वह बच गई। इस बात कि खबर मानसिक जी को उनके दोस्त ने दी, बीनू जी और उनके बेटे जतिन की रिपोर्ट दिखाकर मानसिक जी बेल पर 15 दिन के लिए बाहर आए।

बाहर आकर वह अपनी पत्नी से मिले और उन्हें डाटा कि तुम्हें कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता, तुमने ये सब करते वक़्त न मेरे और न ही बच्चों के बारे में सोचा, बीनू जी बस बेबस होकर रो रही थी चुप थी और शरमिंदा थी अपनी हरकत पर।

मीनसिघं जी कुछ दिनों के लिए बाहर आए थे। उन्होंने सबसे पहले अपने लिए एक अच्छा वकील ढुढ़ा, अपने बेटे के इलाज के पैसों के लिए इन कुछ दिनों में भी काम किया और अपने वापस जाने तक के समय में उन्होंने अपने बेटे का इलाज शुरू करवा दिया। और समय खत्म होने के बाद वापस जेल चलें गए।
कोर्ट की तारीख पर इस बार वकील ने मीनसिघं जी को बेगुनाह साबित कर ही दिया। सच बड़ा घिनोना था। मीनसिघं जी को फँसाने के लिए उनके किसी दुश्मन ने सतीश मार कर उसकी जेब में लैटर रख दिया था और इन सब में पुलिस वाला भी शामिल था। सच सामने आते ही मीनसिघं जी को बाइज़्ज़त बरी कर दिया गया। और जिन्होंने ये शाजिस की थी उन्हें सज़ा मिली।

सब कुछ खत्म हो मीनसिघं जी अब उनके पास सिर्फ उनका परिवार है। बाहर आकर मीनसिघं जी से कई लोगों ने कहा कि उनकी पत्नी ठीक नहीं है,इस पर मीनसिघं जी ने कहा कि मेरी बीवी ठीक है पर आपकी नज़रें और सोच ठीक नहीं।फिर से वह जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले जैसा सब कुछ हो पाना मुश्किल तो है पर न मुमकिन नहीं।
इस कहानी में सच अगर जीत पाया है तो वह सिर्फ इसलिए कि इस परिवार ने हिम्मत नहीं हारी ,अपना विशवास नहीं खोया। आज यह परिवार कोरोना के कारण आरथिक तंगी से गुजर रहा है, पर फिर भी यह सब साथ है खुश है। और मुझे पुरा यकीन है कि इनकी एकता और हिम्मत इस मुसीबत को भी मात दे देगी।
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