धर्म और समाज
एक छोटा सा बच्चा जब जन्म लेता है,और वह बड़ा होने लगता है!तब जिस परिवार में व जिस समाज में उस बच्चे पालन-पोषण होता है! उसके अनुरुप ही वह बच्चा भी एक सामाजिक परिधि में आ जाता है!
हाँ, मैं आस्तिक हूँ
मगर इसका मतलब ये नहीं कि मैं धर्म की बुराईयों पर कुछ भी न बोलूँ!
मैं हिन्दुत्व पर सही परख कराने वाले डाॅ.विकास दिव्यकीर्ति /दृष्टि का समर्थन करता हूँ! क्योंकि मेरा भी यही प्रश्न है कि मैं और मेरे ईश्वर की इस जोड़ी गई चेन में ये तीसरा इंटरफेयर करने वाला कौन? राम ने शुद्र ऋषि शम्बूक...
हाँ, मैं आस्तिक हूँ
मगर इसका मतलब ये नहीं कि मैं धर्म की बुराईयों पर कुछ भी न बोलूँ!
मैं हिन्दुत्व पर सही परख कराने वाले डाॅ.विकास दिव्यकीर्ति /दृष्टि का समर्थन करता हूँ! क्योंकि मेरा भी यही प्रश्न है कि मैं और मेरे ईश्वर की इस जोड़ी गई चेन में ये तीसरा इंटरफेयर करने वाला कौन? राम ने शुद्र ऋषि शम्बूक...