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मास्टरमाइंड (भाग 2)
काव्या अपने पिता को गोली लगने की बात सुनकर चौंक जाती है और तुरंत ही अस्पताल के लिए निकल जाती है।

रास्ते में जाते वक्त कुछ दूर पर उसे एक लड़की दौड़ते हुए दिखती है लेकिन वह पिता की टेंशन में उस लड़की पर कोई ध्यान नहीं देती है। थोड़ी ही देर बाद वह अस्पताल पहुँच जाती है, उसकी माँ सीता जी और कुछ पुलिस अस्पताल में पहले से होते हैं..

काव्या: माँ... पापा कैसे हैं... वो ठीक तो हैं न..??
सीता: हाँ... डॉक्टर ने कहा गोली बस बाहिनें हाथ को छू कर निकल गई है... ज्यादा घबराने वाली बात नहीं है...
काव्या: पर गोली कैसे लगी?
सीता: पता नहीं।

काव्या अपनी मां से बात ही कर रही होती है कि तभी वहां एक इंस्पेक्टर आता है...

काव्या: सर... मेरे पापा को गोली कैसे लगी??
इंस्पेक्टर: आज SHO साहब (राम) और सब इंस्पेक्टर राकेश को पुलिस के उपकरण जिनमें बंदूकें, पिस्तौल, बारूद आदि सामान थे... को दिल्ली से गाजियाबाद ले जाने का काम सौंपा गया था... पर रास्ते में एक सुनसान इलाके में कुछ लोंगो ने वैन पर हमला कर दिया... इंस्पेक्टर राकेश और दो कांस्टेबल के साथ पुलिस की वैन गायब है। छानबीन चल रही है और मैं यहां राम सर का बयान लेने आया हुआ... कि वास्तव में वहाँ क्या हुआ था...
काव्या: इतनी रात को...?
इंस्पेक्टर: मामला गंभीर है.. सुबह का इंतजार नहीं कर सकते।
काव्या: क्या मैं भी अन्दर जा सकती हूँ..
इस्पेक्टर: ये एक गंभीर मामला है इसलिए मैं आपको अंदर जाने की इजाजत नहीं दे सकता।
काव्या: मैं अंदर एक बेटी की नहीं बल्कि एक डिटेक्टिव की हैसियत से जाना चाहती हूं... क्या पता मैं आपकी कुछ मदद ही कर सकुं.... ये रहा मेरा डिटेक्टिव आई कार्ड...
इंस्पेक्टर: ठीक है (आईडी देखने के बाद)

डॉक्टर के जाने के बाद काव्या और इंस्पेक्टर... राम जी का बयान लेने अंदर जाते हैं। काव्या अपने पिता को देखकर भावनात्मक हो जाती है और खुद को रोक नहीं पाती है...
काव्या: पापा आप ठीक हैं न... कहीं और चोट तो नहीं लगी...
इंस्पेक्टर: मिस काव्या आप...
काव्या: सॉरी... आप अपना काम शुरू कीजिए।
इंस्पेक्टर: हेलो सर! मैं इंस्पेक्टर ऋषि... दिल्ली पुलिस, इस केस का इंचार्ज...
राम: हेलो।
ऋषि: सर क्या आप बता सकते हैं थाने से निकलने के बाद क्या हुआ... डिटेल में..?
राम: मैं और इंस्पेक्टर राकेश दो सिपाहियों के साथ पुलिस की वैन लेकर गाजियाबाद के लिए निकले थे। कुछ देर के बाद एक जगह पर मैंने वैन रुकवाई.. क्योंकि मुझे वॉशरूम जाना था... सुनसान इलाका था... लगभग 5 मिनट बाद जब मैं वॉशरूम से लौटा तो देखा वैन को कुछ गुंडो ने घेर रखा है... सबके हाथ में पिस्तौल थी... दोंनो कांस्टेबल को गोली लगी थी और इंस्पेक्टर राकेश के सर पर उन लोगों ने बंदूक तानी थी...
मैंने उनके गैंग लीडर पर गोली चलाई पर गोली मिस हो गई और जब उसने गोली चलाई तो गोली मेरे हाथ को छू कर निकल गई और मैं गोली लगने की बजह से पीछे की तरफ गिर गया.. उसी बीच वो लोग इंस्पेक्टर और कांस्टेबल सहित वैन को लेकर भाग गए....
इंस्पेक्टर: कितने लोग थे और उनका चेहरा... किसी का चेहरा देखा था आपने?
राम: 10 लोग थे... और उन लोगों ने मास्क लगाया रखा था जिसकी बजह से मैं किसी का चेहरा नहीं देख सका।
काव्य: कोई और पहचान या सबूत जैसे उनकी भाषा, कपड़े, कोई निशान या फिर कुछ भी...
राम: मुझे उतना वक्त नहीं मिला कि मैं कुछ भी ध्यान दे सकुं...

पुछताछ करने के बाद इंस्पेक्टर ऋषि चले जाते हैं... काव्या और सीता जी अस्पताल में ही रुकते हैं, राम की सुरक्षा के लिए दो कांस्टेबल भी अस्पताल में तैनात किए जाते हैं।

सुबह होने वाली होती है... सीता जी को बैठे बैठे आंख लग जाती है पर काव्या के दिमाग में राम जी का दिया हुआ बयान ही घूम रहा होता है.... सोचते सोचते उसका ध्यान उस लड़की की ओर चला जाता है जो उसे रास्ते में दिखी होती है... पर वो फिर से उस लड़की को नज़रअंदाज़ कर देती है और थोड़ी देर के लिए सो जाती है...

सुबह के सात बज गए होते हैं, काव्या अपने फोन की आवाज सुनकर अचानक से उठ जाती है... जब वह फोन देखती है तो उसकी दोस्त नेहा का फोन होता है। जब काव्या फोन उठाती है तो उसे पता चलता है कि उसकी दोस्त रिया ने आत्महत्या कर लिया है...



To Be Continued...
#mastermind
© Sankranti chauhan