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सहयोगी बने हम दोनो
एक पुरुष नैकरी करता है
चार पैसे कमाने के उद्देश से
अपने पर आश्रित लोगों को अच्छी जिंदगी देने के लिए
वो नही समझ पाएगा औरतों का मुश्किल झेलने और
घर से बाहर निकलने के उद्देश्य को
जब औरत ने पूरी जिंदगी समर्पित कर के
घर सम्हाला ती है एक नई जिंदगी का श्रृजन करती है।
तो एक सम्मान अपने अस्तित्व को अपनाये जाने की उम्मीद करती है
पर उसे किसी न किसी दिन
ये सुनना पड़ता है
तुम क्या जानो
पैसे कैसे कमाए जाते हैं
कितनी मुश्किल झेलनी होती है या क्या क्या सहना पड़ता है
तुम तो आराम से घर में बैठी हो,आखिर तुमने आजतक किया क्या है?
सब कुछ निछावर करने के बाद
वो ये डिजर्ब नही करती।
फिर उसे लगता है कि पैसे कमाने से इज्ज़त मिलेगी।
ये वो काम है,जिसे काम समझा जाता है।
और वो निकल जाती है,अपने अस्तित्व को ढूढने के लिए।
पर उसे तब भी वो नही मिलता जिसकी तलाश होती है उसे।
उसे आज भी बताया जाता है की उसकी प्राइमरी जॉब घर बच्चे सम्हालना है, जिसके लिए उसे बाद में जा कर उलाहने सुनने होंगे।
पैसे कमाने का काम तो शौक है फ्री टाइम में उसे पूरा करे तो कोई बात नही, उसे इस बात की परमिशन दिया जा रहा है।
मतलब उसे अपने ही अस्तित्व को जानने समझने और जीने के लिए किसी की इजाज़त लेने की जरूरत है।
क्यों,इसका जवाब उसे कभी नहीं मिला।
शायद उसे जवाब की जरूरत भी नहीं है।

पुरुष और स्त्री कभी भी एक दूसरे के प्रतिद्वंदी नही रहे हैं
वो तो पूरक रहे हैं और रहना चाहिए था।
पर उसके लिए जरूरी था की आप उसके काम को भी उतना ही सम्मान दें।
आप समझें की वो भी कुछ जरूरी कर रही है।
नही तो परिणाम वही होगा जो आप देख या सुन रहे हैं
भयानक!

नोट: चीजों को देखने का आपका नजरिया अलग हो सकता है,मेरा यह है।😊

खुश रहिए स्वस्थ रही,और थोड़ा सा जिंदा रहिए।
© life🧬