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नशे की रात ढल गयी-12
नशे की रात ढल गयी.. (12) .. दरअसल लड़कियों के जन्म ने घर में जो एक मायुसी भर दी थी उससे उबरने में थोड़ा वक्त लगा । बाबूजी अभी तक उस पुरानी मान्यता को छोड़ नहीं पाये थे जो यह मानती है कि पुत्र के जन्म से ही वंश चलता है । इसमें उनका कोई दोष भी नहीं था । आज भी लड़कियों को अंतिम संस्कार में श्मशान-घाट पर जाने से रोका जाता है ।मुझे नहीं मालूम ऐसा क्यों है ?-शास्त्रों में निषेध है या पुरुष शासित समाज की बर्चस्ववादी सोच..? जो भी हो ..एक अर्से तक बाबूजी के विचारों में कोई बदलाव नहीं आया , बल्कि इस मामले में माई (माँ )उनसे कहीं ज्यादा समझदार और उदार साबित हुई। उसने नियति मानकर परिस्थितियों से समझौता कर लिया और उन मासूम पोतियों पर हीं अपना सारा लाढ-प्यार उढेलने लगी । बहुत बाद में समय के साथ बाबूजी के ऐटिट्युड में भी बदलाव आता गया । दरअसल घर के आंगन में एक दिन सबसे छोटीवाली बेटी (अस्मिता) का पैर कल के पास जमीहुई काई पर फिसल गया और उसके माथे में कल की राॅड धँस गयी .. खून का फव्वारा सा बहने लगा ।मैं बदहवाश उसे लेकर हाॅस्पिटल भागा । माथे में एक बड़ा सा होल बन गया था जहाँ से खून का रिसाव बदस्तुर जारी था । वहाँ सारे उपचार के बाद भी खून रूकने का नाम नहीं ले रहा था.. माथे को कई टाॅकों से सील किया गया तब कहीं जाकर खून का बहाव रूका ।डॉक्टर ने बताया कि इसके खून का टाइप रेयर है .. क्लाॅटिंग बहुत मुश्किल से हो पायी है। लेकिन इसबीच खून काफी बह चुका था । देर रात जब हम घर लौटे तो हमने बाबूजी को बिछावन पर जागते हुए पाया ..वे हनुमान जी का कोई मंत्र-जाप कर रहे थे । इस हादसे का उनके दिलो-दिमाग पर कुछ ऐसा असर हुआ कि अब पोतियों में ही उनकी जान बसने लगी ..
लेकिन इसी बीच एक दिलचस्प वाकया भी हुआ । मेरी दूसरी शादी की अफवाह कहीं से उड़ने लगी । एकदिन एक बरतुहार(लड़की पक्ष से कोई सगा-संबंधी)सचमुच में आ धमका ..उसको कहीं से पता चला कि पुत्र प्राप्ति के लिए फिर से मेरी शादी होने वाली है..वाकया कुछ इस तरह से हुआ --दरवाजे पर दस्तक हुई ।मेरी बड़ी लड़की (उम्र-छह साल ) ने दरवाजा खोला और पूछा -क्या है? ..बड़ाबाबू कहाँ हैं? आगन्तुक ने पूछा । --पता नहीं.. कहीं बाहर निकले होंगे ..क्या काम है? --बेटी ने जिज्ञासा की । -शादी के लिए ..उनके बेटे से--उसने कुछ झेंपते हुए कहा । --लेकिन पापा की शादी तो मम्मी से हो चुकी है .. आप कहीं और जाइए --उसने गुस्से में आकर कहा और बिना एक पल गवाॅए तड़ाक से दरवाजा लगा दिया ..

(आगे फिर कभी )