नशे की रात ढल गयी-12
नशे की रात ढल गयी.. (12) .. दरअसल लड़कियों के जन्म ने घर में जो एक मायुसी भर दी थी उससे उबरने में थोड़ा वक्त लगा । बाबूजी अभी तक उस पुरानी मान्यता को छोड़ नहीं पाये थे जो यह मानती है कि पुत्र के जन्म से ही वंश चलता है । इसमें उनका कोई दोष भी नहीं था । आज भी लड़कियों को अंतिम संस्कार में श्मशान-घाट पर जाने से रोका जाता है ।मुझे नहीं मालूम ऐसा क्यों है ?-शास्त्रों में निषेध है या पुरुष शासित समाज की बर्चस्ववादी सोच..? जो भी हो ..एक अर्से तक बाबूजी के विचारों में कोई बदलाव नहीं आया , बल्कि इस मामले में माई (माँ )उनसे कहीं...