झूठी आस....❤️
मुझे कभी कभी लगता था कि...
मुझे बदल जाना चाहिए था...
वक्त के साथ,
मगर मैं नहीं बदली,
मैं रही वही पुरानी सी,
नए जमाने के साथ नही मिलता मेरा तालमेल,
ये उधेड़बुन में उलझे रिश्ते,
मुझे हरगिज समझ नही आते...
या तो रिश्ते बनाओ मत,
या फिर उन्हे दिल से निभाओ..
मुझसे किसी की नकल नहीं होती...
शायद उसके लिए भी अक्ल चाहिए...
जो मेरे ख्याल से मेरे पास नहीं है,
इसलिए मेरी सोच जल्दी...
किसी से मिलती ही नही,...
मुझे बदल जाना चाहिए था...
वक्त के साथ,
मगर मैं नहीं बदली,
मैं रही वही पुरानी सी,
नए जमाने के साथ नही मिलता मेरा तालमेल,
ये उधेड़बुन में उलझे रिश्ते,
मुझे हरगिज समझ नही आते...
या तो रिश्ते बनाओ मत,
या फिर उन्हे दिल से निभाओ..
मुझसे किसी की नकल नहीं होती...
शायद उसके लिए भी अक्ल चाहिए...
जो मेरे ख्याल से मेरे पास नहीं है,
इसलिए मेरी सोच जल्दी...
किसी से मिलती ही नही,...