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'अलवर महाराजा और रोल्स रॉयस '
यह कहानी है अलवर के महाराज जय सिंह प्रभाकर की ।कहानी तो हम इसे नहीं कह सकते क्योंकि यह पूर्णतया सत्य घटना पर आधारित है ,
जब राजस्थान में वर्तमान की तरह जिले नहीं थे या यू कहूं राजस्थान के एकीकरण से पूर्व जहां राजस्थान में रियासतें हुआ करती थी तो वही एक प्रसिद्ध रियासत थी 'अलवर रियासत 'और इसी अलवर रियासत में एक महाराज हुए थे, महाराजा जयसिंह प्रभाकर। इस कहानी के साथ-साथ आपको एक सिख भी मिलेगी तो कहानी की शुरुआत होती है उस वक्त से जब महाराजा जयसिंह लंदन घूमने के लिए गए थे और क्योंकि राजस्थान अपने शाही वेशभूषा के लिए मशहूर है ,लेकिन महाराजा जयसिंह ने ऐसा ना कर लंदन घूमते वक्त उन्होंने आम पोशाक पहनी थी ।और लंदन घूमते वक्त ही जब वह एक बड़ी सी गाड़ियों के शोरूम के बाहर से गुजर रहे थे तो उन्हें एक गाड़ी दिखाई दी ,जो उन्हें बेहद पसंद आई और उसे लेने के लिए उस शोरूम में गए थे लेकिन क्योंकि उन्होंने आम पोशाक पहन रही थी तो गाड़ी शोरूम के कर्मचारी उन्हें नहीं पहचान पाए और उन्हें गरीब समझकर अपमानित किया ।और जिस गाड़ी की मैं बात कर रही हूं वह गाड़ी थी तत्कालीन समय की सबसे मशहूर गाड़ी 'रोल्स-रॉयस' जी हां वह गाड़ी जो उस समय दुनिया में कुछ ही लोगों के पास हुआ करती थी वही गाड़ी खरीदने अलवर के महाराजा जयसिंह शोरूम में गए थे । परन्तु उन्हें अपमानित कर गाड़ी के शोरूम से बाहर निकाल दिया गया।
अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने तत्काल इस कंपनी के कर्मचारियों को आदेश भिजवाया की अलवर के महाराजा आपके शोरूम से गाड़ी लेना चाहते हैं, अब क्योंकि इस बार वह अपनी शाही वेशभूषा धारण करके गए थे , तो कंपनी ने उनका खूब स्वागत किया था।
महाराजा जयसिंह ने उसी शोरूम में खड़ी 6 रोल्स-रॉयस गाड़ियों को नगद के साथ खरीद लिया ।यह उस समय की अगर हम बात करें जहां रोल्स-रॉयस मुश्किल से किसी के पास एक ही हुआ करती थी, वहां महाराजा जयसिंह ने 6 रोल्स-रॉयस कार एक साथ खरीदी थी और कंपनी इस बात से बहुत खुश थी लेकिन वह इस बात से अनजान थी कि आगे उनके साथ क्या होने वाला है ।
क्योंकि एक तो हम भारतीय हैं और ऊपर से वह महाराज थे राजस्थान के, तो ऐसे तो अपने अपमान का बदला वह नहीं छोड़ने वाले थे अभी कुछ बड़ा होना बाकी था।
तो महाराजा जयसिंह जैसे ही 6 रोल्स-रॉयस गाड़ियां उन्होंने खरीदी.. भारत आने के तुरंत बाद उन 6 गाड़ियों को उन्होंने अलवर नगर पालिका को दे दिया और कचरा उठाने वाली कारों में बदल दिया जी हां वह रोल्स-रॉयस कार जिसे खरीदने की किसी की हिम्मत नहीं थी वह गाड़ियां राजस्थान की अलवर रियासत में कचरा उठा रही थी । और जहां उस वक्त सबसे लग्जरी गाड़ियों में से एक भी रोल्स-रॉयस और अलवर के महाराजा जयसिंह ने उसे ऐसा बना दिया था कि अब कोई भी इंसान रोल्स-रॉयस खरीदना नहीं चाहता था ,क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि यह कचरा उठाने वाली गाड़ी उनके पास हो।
इस बात का पता पूरी दुनिया के साथ-साथ रोल्स-रॉयस के मालिक को लगा तो उन्होंने अपने व्यवहार के लिए उनसे माफी मांगी थी ।महाराजा जयसिंह के लिए इतना बहुत था कि अपनी गलती उन्हें समझ में आ गई तो बड़ा दिल रखते हुए उन्होंने माफ भी कर दिया था

लेकिन अब उस रोल्स-रॉयस कंपनी के साथ-साथ पूरी दुनिया में सभी को यह समझ आ चुका था कि किसी इंसान का आकलन उसके कपड़ों से नहीं करना चाहिए क्योंकि कभी भी इंसान कपड़ों से अमीर या गरीब नहीं होता है।



इस कहानी से मेरा उद्देश्य किसी भी इंसान या कंपनी को या किसी को भी नीचा दिखाना नहीं था बस यह एक सीख थी कि चाहे इंसान जैसा भी हो अपना व्यवहार पवित्र रखें..