...

4 views

जोरू का गुलाम
*जोरू का गुलाम* ये संबोधन उस व्यक्ति को किया जाता हैं जो अपनी पत्नी के गृहकार्य में मदद करता है।ये ताने और उलाहना के बाद उस विवाहित युगल जोड़े के मन के भावों को व्यक्त करने की कोशिश इस कहानी के माध्यम से की गई।🙏

" जोरू का गुलाम "
"जब भी घर आती हूं ,ये मनोज रसोई में ही घुसा रहता है।राधा को कुछ काम आता भी है या नहीं"।ससुराल से मायके आई मीरा ने पैर पटकते हुए अपनी मांँ से कहा।
राधा और मनोज की शादी को 10 साल हो गए,उनके दो बच्चे भी हैं।मीना, मनोज की बड़ी बहन है,जिसका ससुराल इसी शहर में है।महीने पंद्रह दिन में वह मायके आती हैं और एक,दो दिन ठहर कर चली जाती हैं।
लेकिन आने और जाने के बीच ये राधा मनोज की भरपूर खिंचाई करती है।कभी कभी तो लगता जैसे मीना, राधा और मनोज को ताना देने ही मायके आती है।
मीना की बात सुन कर मुंह बनाते हुए मांँ बोली_"तुम तो कभी कभी देखती हो हम तो रोज देखते हैं ये नौटंकी।पता नहीं किस पर गया है ये मनोज।तेरे बाबूजी तो कभी एक लोटा भी यहां से वहां नहीं रखते थे,और ये है कि रसोई से बाजार तक सारे काम कर देता है।"जोरू का गुलाम "कहीं का।मेरा तो खून जल जाता है इसको देख कर।
"हांँ , माँ ! तुम्हारे जमाई भी कभी हमारे काम में मदद नहीं करते।क्या ये औरतों की तरह घर के काम करना मगर मनोज की तो कुछ समझ में आता है नही।ये तो बच्चो की नैपी भी बदल देता है। पता नही राधा ने क्या पट्टी पढ़ाई इसको"..!
नहीं नहीं पट्टी नही पढ़ाई,इसके काम में सफाई नही,खाना भी स्वाद नहीं बनाती इसलिए बेचारे मोहन को बनाना पढ़ता है।इसके माँ,बाप ने इसे काम सिखाया ही नहीं "। मीना की बात बीच में काटते हुए मांँ ने कहा।
तभी मनोज आता है बहन और माँ के पैर छूकर कुशल समाचार पूछता है।फिर भोजन का कहता है लेकिन माँं कहती है कि तूने बना दिया पूरा खाना जो हम खाने आ जाए।
तब तक राधा भी आ जाती हैं, सास और ननद को भोजन की मनुआर करते हुए कहती हैं पहले आप खा लो फिर बच्चे भी आ जायेंगे।
मां और मीना खाने बैठते हैं और बीच बीच में राधा और मनोज की खिल्ली उड़ाते हैं।"सब्जी बड़ी स्वादिष्ट है आपने बनाई भाभी या मोहन ने।" मीना ने चुटकी ली।"रसोई तो चमक रही है ।मनोज को घर का काम सीखा आपने आधा औरत ही बना दिया।"
राधा उनके तानों को बखूबी समझती थी लेकिन अशांति के डर से चुप चाप मुस्कुरा कर कहती_"भगवान की कृपा से ही आपके भाई जैसे पति मिले, मैं तो धन्य हो गई, वरना घर और बच्चे दोनो कभी नहीं संभाल पाती।"कह कर वो घर के काम करने लगती।
ये हर बार जब भी मीना मायके आती तब ये होता रहता था।
लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ,राधा बीमार बच्चे को अस्पताल ले गई थी और मीना ने मनोज से बहस शुरू कर दी।
मीना बोली _" आखिर क्यों करते हो तुम ये घर के काम,तुम्हारे जीजाजी कितना हँसते है तुम पर।मेरे दिल पर क्या बीतती हैं तुम क्या जानो।आदमी लोग औरतों के काम नहीं करते हैं , सब्जी सुधारना,कपड़े सुखाना,झाड़ू लगाना,ये सब काम तुम्हारे नही है।मुझे देखो मैं खुद सारे काम करती हूं,राधा भी कर लेंगी। तुम्हें कोई जरूरत नही "जोरू का गुलाम"बनने की।
कुछ मत बोलो इसे मांँ ने कहा "ये तो परिवार का नाम डुबोने में लगा हुआ है,तुम्हारी बुआ और चाची मुझे कितना सुनाती हैं दूसरे मर्द भी तो है वो तो घर पर काम नही करते हैं लेकिन इसने ठान लिया है कि न जीने देगा और न ही मरने".. ।
"चुप हो जाओ आप दोनो"....! आखिर में मनोज चिल्लाया।वो बोला_" एक औरत हो कर आप दोनो ने क्या लगा रखा है।राधा ने कभी नहीं कहा कि मैं उसकी मदद करूंँ,लेकिन देखा है मैंने माँ आपको ,कैसे हमें रोता हुआ छोड़ कर बाजार जाती थी किराना और सब्जी लेने।एक के बीमार होने पर दूसरे को घंटो भूखा घर पर रहना पड़ता जब आप अस्पताल जाती थी।बीमारी में भी आप झाड़ू, पोछा, कपड़े,बर्तन सारे काम करती थी और दर्द से कराहती थी।जले हुए हाथों पर गीली मिट्टी लगाते और रोते हुए देखा है आपको मैंने।और तभी सोच लिया कि अपनी जीवन संगिनी की आंखों में नमी नहीं आने दूंगा"।
" दीदी आप भी तो कभी कभी कहती है कि सारे काम करते करते थक गई,जीजाजी कुछ काम नहीं करते।" लेकिन जब मैं राधा की मदद करता हूं तो फिर ये उलाहने क्यूं..?
राधा ने कभी भी आपकी शिकायत मुझसे नहीं की और उलटे मुस्कुराती रही।
ऑफिस से मैं सीधा घर पर आता हूं,जबकि मेरे दोस्त नाइट पार्टी और क्लबों में जाते है,लेकिन आप लोग नहीं समझती..!कहते हुए मनोज की आंखे भर गई।
मीना और माँ को अपनी गलती का अहसास हुआ।राधा के घर आते ही दोनो ने माफी मांगी।लेकिन राधा ने उन्हें हँस कर गले लगाया और अपने भाग्य की सराहना की..!

याद रहे "जोरू का गुलाम " होना कोई सरल काम नहीं और न ही गलत है।गलत है ताने मारने वालों की सोच।
पत्नी की मदद करने से कोई "जोरू का गुलाम "नहीं होता बल्कि उसकी परवरिश दिखती हैं कि वह किस परिवार से हैं,जिसके साथ जीवन जीना है उसकी प्रेम से मदद करने में कोई बुराई नहीं.!
लेखक_#shobhavyas
#WritcoQuote
#writcoapp