कृष्ण से पहली मुलाकात
प्रिय सखा कृष्ण
तुम्हारी एक झलक पाने को मैंने बड़े जतन किए हैं यहां तक कि मैंने भोजन को भी त्याग दिया तब जाकर मुझको तुम्हारी इन दो नैनो का दीदार हुआ और मैं आई थी सब से लड़ झगड़ कर तुम्हारी बांसुरी की धुन सुनने को जिस धुन में सुध बुध खो कर तुम्हारी सखियों ने तुमको पाया होगा
क्या तुम्हारी सखियों ने भी मेरी तरह ही प्रेम जताया होगा
जैसे तुम मुझको सता रहे हो क्या वैसे ही तुमने बाकी की सखियों को सताया होगा
और सुना है मैंने तुम्हारी इन दो नैनो में राधा का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है शायद इसलिए तुम्हें 16108 रानियों में राधा का ही एहसास हुआ फिरता है
पर क्या मुझ में भी कभी तुमको राधा का प्रतिबिंब नजर आया होगा और क्या तुमने मुझको भी सखी कह कर बुलाया होगा
by -Nandini
© story writing and Kavita writing with listening
तुम्हारी एक झलक पाने को मैंने बड़े जतन किए हैं यहां तक कि मैंने भोजन को भी त्याग दिया तब जाकर मुझको तुम्हारी इन दो नैनो का दीदार हुआ और मैं आई थी सब से लड़ झगड़ कर तुम्हारी बांसुरी की धुन सुनने को जिस धुन में सुध बुध खो कर तुम्हारी सखियों ने तुमको पाया होगा
क्या तुम्हारी सखियों ने भी मेरी तरह ही प्रेम जताया होगा
जैसे तुम मुझको सता रहे हो क्या वैसे ही तुमने बाकी की सखियों को सताया होगा
और सुना है मैंने तुम्हारी इन दो नैनो में राधा का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है शायद इसलिए तुम्हें 16108 रानियों में राधा का ही एहसास हुआ फिरता है
पर क्या मुझ में भी कभी तुमको राधा का प्रतिबिंब नजर आया होगा और क्या तुमने मुझको भी सखी कह कर बुलाया होगा
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