...

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जोग
सब कुछ कैसे त्यागा जा सकता है? हर दिन इसी उलझन मे कट रहे है l प्रेम,मोह, ममता, सुख, दुःख, लगाव, इच्छा, आशा सब कैसे त्यागा जा सकते है?
गुजरे हुए कुछ महीनों से सब कुछ अटका हुआ है l जैसे किसी पुराने सुनमाघर मे कोई रील अटक गई हो l वही बदन, वही आँखे, वही हाथ, वही पैर, वही पेट, वही उँगलियाँ, वही मुँह, वही दिमाग़, वही दिल सब कुछ तो वही है, खाना, पीना, नहाना, सिगरेट पीना, भागना - दौड़ना सब तो वही है जो पहले से करता रहा हूँ l सब एक फिक्स रील है,वही होना है अपने उसी वक़्त पर जो हमेशा से हो रहा है l
मैं...