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खेल का आखिरी मोहरा
आरव एक जाना-माना वास्तुकार था, जिसका काम अजीबोगरीब और रहस्यमय संरचनाओं को डिजाइन करना था। उसकी ख्याति दूर-दूर तक थी, और लोग उसकी बनवाई इमारतों को देखने आते थे। लेकिन हाल ही में उसे एक ऐसा प्रोजेक्ट मिला, जिसने उसे अंदर तक हिला दिया।

एक पुरानी हवेली का मालिक, श्रीवास्तव, आरव के पास आया और उसे हवेली का नया नक्शा तैयार करने का प्रस्ताव दिया। हवेली बेहद पुरानी थी और पिछले कई सालों से वीरान पड़ी थी। कहा जाता था कि उस हवेली में जाने वाला कोई भी व्यक्ति वापस नहीं लौटा। लेकिन आरव को भूत-प्रेत की कहानियों पर यकीन नहीं था, और उसने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया।

हवेली के बाहर पहुँचते ही आरव को अजीब सा एहसास हुआ। हवेली बेहद भव्य थी, लेकिन उसमें एक डरावनी चुप्पी थी। जैसे हवेली खुद कोई रहस्य छिपा रही हो। आरव ने अंदर जाने का फैसला किया और अपने डिजाइन के अनुसार इमारत के भीतर का निरीक्षण शुरू किया।

अंदर कदम रखते ही उसे एहसास हुआ कि यह हवेली बाकी इमारतों से अलग है। यह जगह किसी अजीब खेल का हिस्सा लग रही थी। दीवारों पर लगे पुराने चित्र और मूर्तियाँ उसे घूरते हुए महसूस हो रहे थे। हवेली के अंदर का माहौल ऐसा था, जैसे यहाँ समय रुक गया हो।

आरव ने अपने नक्शे के हिसाब से घर का मुआयना करना शुरू किया।...