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जज्बातों में उलझी जिंदगी (इंट्रो)
कितनी अजीब बात है ना....हम हमेशा कल के बारे में सोचते हैं, हमेशा कल की फिक्र करते हैं....कभी आज के बारे में....आज में जीने के बारे में सोचते ही नहीं है।
हम हमेशा उस कल की फिक्र करते हैं जो हम में से किसी ने कभी देखा ही नहीं, पर उस फिक्र में हम हमारे आज में जीना भूल जाते है।
अपने भविष्य को संवारने में हम इतना व्यस्त हो जाते हैं कि आज की हमारी छोटी-छोटी खुशियों को भी कभी-कभी नजर अंदाज कर देते है.....वह खुशियां जो हमें शायद भविष्य में वापस ना मिले और भविष्य में सिर्फ इस बात का अफसोस रह जाए कि काश वो पल जी लिया होता तो आज उसकी कितनी सारी मीठी यादें होती।
यादें......जिंदगी का खजाना होती है जो हमेशा साथ रहती हैं।
जिंदगी में हर कोई साथ छोड़ देता है....पर कोई हमेशा साथ देती है तो वो सिर्फ यादें होती है।
यादें ही तो किस्से और कहानियों का रूप ले लेती है।
हम जितने भी कहानियां पढ़ते हैं.....जितने भी किससे पढ़ते हैं..... वो या तो किसी न किसी की यादों का हिस्सा होते हैं या तो फिर आसपास घट रही घटनाओं का वर्णन होते हैं।

एक ऐसी ही यादों से भरी हुई कहानी जिसे मैंने बहुत करीब से देखा है समझा है और कहीं ना कहीं महसूस भी किया है लिखना शुरु कर रही हूं..... "जज्बातों में उलझी जिंदगी"!!


"मेहर... छोटे शहर की सीधी-सादी लड़की....जिसकी दुनिया बहुत छोटी थी।
क्या हुआ जब वह अपनी उस छोटी सी दुनिया से बाहर निकली और असली दुनिया से मिली?
कैसे बदली उसकी जिंदगी??
कैसे सामना किया उसने नई चुनौतियों का यहां तक कि अपने जज्बातों का???"

© Megha