...

8 views

बेटी से बहू बनने का सफ़र....
लोग खुश थे.. मैं असमंजस में थी,
मैरी शादी हो रही थी.. घर में सभी उत्साहित थे,
इकलौती थी.. बड़े अरमानों नाज़ नखरों से पली थी,
ख़्वाब बहुत ऊंचे.. जेहन में बचपन से धर गए थे,

सब का शायद यही हाल होता है
एक दिन बेटियों को.. छोड़ अपना घर पी के घर जाना ही होता है,
कुछ शायद नसीब वाली होती है,
लड़का जिनका पहले से ही जाना पहचाना होता है,
कुछ मुझ सी होती हैं..
जिनकी शादियां को मां बाप ढूंढ़.. बड़े अरमानों से उन्हें विदा करते है.

मंगलकामना सब मिल करते है.. ख्याल रखेगा बन्ना बस यही दुआ ईश्वर से करते हैं..
घड़ी ज्यों ज्यों नज़दीक आ रही थी रस्में सारी मां बाप भाई भाभी द्वारा निभाई जा रही थी..

मुझे ना पता.. मैं खुश थी.. या परेशान.. दुःखी शब्द शायद उपयुक्त ना है..
बेला संध्या की आईं फिर रात हुईं..
रस्म कन्यादान की हुईं.. कोरे में भाई ने लावा भरा.. मैं चुपचाप कसमसाई सी अपने में मुरझाईं सी एक अनजाने डर से खुद में ही सिमटी जा रही थी..

ये क्या रस्म बनाईं है ऊपर वाले ने..
ब्याह कर कैसे बाप अपने जिगर के टुकड़े कर विदा कर देता है एक अनजाने के साथ..
खैर वो घड़ी भी आ गईं.. मैं विदा हो सुसराल आ गई..

सब अनजाने चेहरे.. सब के सब रिश्ते नए..
दोस्तों कल्पना कर जी सिहर उठता है..
कैसे सामंजस्य बैठना.. कुछ ना सुझता है..
हर वो संबंध जिनके बारे में खड़ूसियत ही सुना था..
आज उन्ही को अपनाना था.. अपनाना क्या उन्हीं में जीना था.. अब मां पापा से ज्यादा तवज्जों इनमें ही देना था

सो मानसिक तैयारी तो मां ने घर पर ही करवा दी थी.. बाकी पढ़ाई तो खूब की थी अब प्रेटिकल की बारी थी..
कोई हंस प्यार कर बतियाने की कोशिश कर रहा था..
तो कोई तंज कर मज़े ले रहा था..
दौर ये थोड़ा मुस्किल ज़रूर था..
तैयारी पहले से थी अंदेश जैसा सोचा था वैसा ही हो रहा था..

सास साथ दे रही थी ननद भी खुश ही लग रही थी
बस एक बात ही खल रही थी..
मैं चिड़ियाघर में आए किसी नए जानवर के भांति नुमाईश के लिए रख दी गईं थी..

सारे रीत रिवाज़ खत्म हुए अब रात वो आई जिसका इंतज़ार रहता है हर नव विवाहित जोड़े को..
मिलन की बेला भी आई कुछ बातें हुई दोनों ने समझा एक दूजे को कुछ रस्में निभाईं थकान दोनो को थी..

दूसरे दिन जल्दी उठना था मां नही यहां सासू को मां कहना था..
नखरे यहां ना चलते है नखरे यहां संभालने पड़ते हैं
जितना जतन से रिश्ते यहां निभाती हूं..
इसका आधा भी ना मायके में करती थी..

आज मां पापा भाई की बहुत याद आ रही थी..
खुद से वादा किया अब कभी न मां बाप भाई को कभी दुखी करुंगी..
पर अभी तो बहू के रोल में हूं..
बेटी बन जाऊं बस आप सब की यही दुआ चाहती हूं...
© दी कु पा