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वोट और राजनीति
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी। एक पक्ष में दूसरा विपक्ष में लोगों में राजनीति को लेकर एक दूसरे के प्रति भेद भाव हो गया, लोग एक दूसरे को ईर्ष्या की द्रष्टि से देखने लगे, बनवारी लाल अपने आप को बहुत निराश परेशान महसूस करने लगा, सोचने लगा मेरी दुकान राजनीति का अड्डा बन गया है, लोग मुझे भी राजनीति की आंधीं में झोकने लगे हैं, जितना लोग एक दूसरे से नफरत करके उन्हें सबक सिखाने की सोचने लगते हैं उतना इन राजनेताओं को सुधारने की कोशिश करें तो ये देश अपने आप सुधर जाएगा,राजनीति बुरी नही है, इसे लोगों की सोच ने बुरा बना दिया है, बदलना है तो हमें अपनी सोच को बदलना होगा देश तो स्वयं बदल जाएगा, आपस में एकजुट होकर रहने लगे तो ये राजनेता हमारा इस्तेमाल करना भूल जाएंगे. और ये देश सुधर जाएगा।
© राज