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don't worry, be happy (विश्लेषण)


माहिष्मति के सम्राट अमरेंद्र बाहुबली ने एक सवाल किया था, क्या है मृत्यु? और फिर स्वयं ही उसका जवाब भी दिया था कि दुश्मन का सीना चीर कर उनसे ये कहने जा रहा हूँ मैं।

अर्थात मृत्यु तो परम एवम अटल सत्य है। निश्चय ही इस सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता। और ये भी सर्वथा उचित है कि अपने जीवन के हर क्षण में हमें इस सत्य का चिंतन मनन रखना चाहिए। इससे निश्चित रूप से सही राह चुनने में मदद मिलती है।
किंतु मृत्यु आने से पहले उसको पा लेना, जीते जी मर जाना और मौत के डर से जीना छोड़ देना जिंदगी के साथ धोखा होगा।
जिंदगी कई रंगों की बनी होती है। सुख दुख, खुशी गम, किसी को किसी के चले जाने की तकलीफ है तो को कोई किसी से साथ खुश नहीं। कोई जिंदगी से दुखी है तो कोई बिना वजह। विस्मय से भरी जिंदगी लेकिन एक समय के बाद बिल्कुल अविष्मयी और साधारण सी हो जाती है। आसान भाषा मे कहें तो नयापन खत्म से हो जाता है। अक्सर हम दुख और दर्द के साथ जीना सीख जाते हैं। ऐसे में कोई राह चलता मिल जाता है। उसकी कुछ बातें अछि लगती हैं। सच तो ये है कि जीवन मे एक नयापन आ जाता है। कई बार हम उससे अपने जीवन का कुछ हिस्सा साझा कर लेते हैं। अपनी तकलीफ बात देते हैं। वो बेचारा/ बेचारी क्या कर सकते हैं सिवाय ये कहने के की don't worry, be happy....
गौर से देखा जाए तो ये किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं। नीरस हो चुकी जिंदगी के इंफेक्शन में ये पेनिसिलिन सी काम आती है। ये नितांत ही सत्य है कि चिंता(worry) नहीं करके खुश (happy) रहना सिर्फ हमारे हाथ में है। लेकिन जैसे हनुमान जी अक्सर अपनी शक्तियों को भूल जाते हैं, और याद दिलाने पर उसका भरपूर इस्तेमाल कर लेते हैं, ठीक वैसे ही कई बार ज्ञान कहीं किताबों और जेहन में ही रह जाता है। उसे जिंदगी में लाने और अपनाने के लिए ऐसे ही किसी मित्र और संजीवनी की आवश्यकता होती है।

शमशान जाकर राख तो एक दिन,
हम सब को होना है,
मृत्यु तो अवश्यम्भावी है,
इस शरीर को एक दिन सबको खोना है।
जी लो जब तक जिंदा हो यारों,
मौका ढूंढो, हंसो और मुस्कुरा लो,
फिर एक दिन पीतल के लोटे में,
सबको अवश्य ही खोना है।
© शैल