...

3 views

चाचा का संघर्ष
यह उस समय की बात है जब भारत में अत्याधुनिक तकनीकों का प्रचलन पूरे भारत में नहीं हुआ था! क्योंकि समय गरीबी का दौर था बात है सन 2003 के आसपास की!
इस दौरान एक ही चीज सबसे ज्यादा तरक्की पर थी वह हमारा रेडियो था जिस समय मेरे गांव के बहुत कम ही घरों में सरकारी नौकर थे और उस समय टीवी मोबाइल जैसी आविष्कारक वस्तुएं नहीं थी हमारे घर में उस समय मोबाइल तो दूर की बात एसटीडी भी नहीं हुआ करता था अगर हमें कहीं भी किसी भी व्यक्ति से बात करनी होती तो या तो बगल के ही एक पड़ोसी के घर जिसके लैंडलाइन सेवा थी वहां से फोन कर लेते थे अन्यथा अगर हम जैसे बाजार के आसपास होते तो बाजार में किसी भी एसटीडी से उसमें कुछ छुट्टे पैसे डाल कर भी बात कर लेते थे उस समय घर में आने के लोगों के कर्ज के कारण घर की आर्थिक स्थिति की वजह से गरीबी का पहाड़ टूट पड़ा! वह समय ऐसा था जब घर में अगर सब्जी ना हो तो जो रोटी प्याज कांदा से ही काम चलाना पड़ता था तथा तकनीक तकनीक का घरों तक नहीं पहुंचने के कारण उस समय रेडियो ही एक मात्र मनोरंजन का साधन था इसी तरह हमारे भी घर में एक रेडियो था जिसे मेरे दिनेश चाचा अक्सर चलाया करते थे और कुछ खबरें सुना करते थे यह कहानी मेरे दिनेश चाचा के महासंघर्ष की है