Mohabbat
चल मेरे हमनशीं चल अब इस चमन मे अपना गुजारा नही,
बात होती गुलोँ तक तो सह लेते हम अब तो काँटो पे हक़ भी हमारा नही”
“कभी चाहा...
बात होती गुलोँ तक तो सह लेते हम अब तो काँटो पे हक़ भी हमारा नही”
“कभी चाहा...