पन्ना और चंदन का वार्तालाप
(all are my words not copied )
कहानी दीपदान उत्सव की है ।
कुंवर सिंह को पन्ना जो धाय मां थी वो उन्हें उत्सव देखने से रोकती है तो ।
कुंवर उदय सिंह नाराज होकर बिना भोजन करे आज चंदन के बिस्तर पर सो जाते है ।
चंदन ये पन्ना का अपना पुत्र है ।
और आज व्याकुल चंदन बाहर से आया है और मां से कहता है ।।
मां ,,मां ,, आज मेरा मन अशांत है और बेचैन है ।
मां आज मुझे अपने हाथो से भोजन करा कर लोरी सुनाकर सुलाओ ना मां।।
चंदन मां से कहता मां आज लग रहा है जैसे दशो दिशाएं और आठो...
कहानी दीपदान उत्सव की है ।
कुंवर सिंह को पन्ना जो धाय मां थी वो उन्हें उत्सव देखने से रोकती है तो ।
कुंवर उदय सिंह नाराज होकर बिना भोजन करे आज चंदन के बिस्तर पर सो जाते है ।
चंदन ये पन्ना का अपना पुत्र है ।
और आज व्याकुल चंदन बाहर से आया है और मां से कहता है ।।
मां ,,मां ,, आज मेरा मन अशांत है और बेचैन है ।
मां आज मुझे अपने हाथो से भोजन करा कर लोरी सुनाकर सुलाओ ना मां।।
चंदन मां से कहता मां आज लग रहा है जैसे दशो दिशाएं और आठो...