...

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दिल की बात 2
पहले सोचती थी रोती थी की
मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है
पर अब बुरा होता भी है तो भी रोना कम
मगर हसीं ही आती हैं
खुद पर भी और बुरे हालात पर भी
और बोलती हूं खुदसे
मरी नहीं हूं अब तक
शायद जी रही हूं लड़ रही हूं
हालातों से भी और खुदसे भी
बोलती हूं कि बुरा वक्त ही तो हैं
टल जाएगा यह पल गुजर जाएगा
बस रुको नहीं अभी इतनी जल्दी
क्या पता आगे इससे भी बुरे हालात हो
वक्त हों जिसे हम टाल नहीं सकते
जिससे लड़ कर मुकाबला करके ही
शायद आगे बढ़ने का रास्ता दिखे
लोग तो होंगे ही तुम्हें आदेश देने
उपदेश देने के लिए
पर यह जिंदगी जी तो हम खुद रहे हैं
तो हर मुसीबत को झेलकर
पार कर उस तरफ जाना भी तो
हमें ही पता होना है ,
सोचती हूं की यही तो अंत नहीं
और भी है कई कांटों भरे रास्ते
जिन्हें पार कर जाना है
हमें ऐसेही जीकर जाना हैं ।।
© Divya