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हर समस्या के पीछे एक कारण होता है
हर समस्या के पीछे एक कारण होता है:- हर समस्या के पीछे एक कारण होता है और उस समस्या का समाधान भी जरूर होता है। (डॉ. श्वेता सिंह)
कोई भी समस्या हो वो कही ना कही हमारे भूतकाल में हुई गलती के कर्म या गलत सोच का परिणाम ही होता है।
आत्मा पर जब भूतकाल का बोझा बढ़ता है था वर्तमान में विघ्न समस्या आने लगती है।
कर्मों की गति बहुत गुह्य है। अब इसे कैसे सुलझाए?
कुछ दिन वर्तमान समस्या को भूल कर तथा बहुमूल्य ज्ञान और योग व ध्यान केंद्रित करने की साधना के माध्यम से अभ्यास करें।आपको अपनी हर समस्या का जवाब जरूर मिलेगा। (डॉ. श्वेता सिंह) समस्या:-हमारा किसी भी समय मायूस और किसी भी बात पर हम निराश हो जाते है...मेरा दुःख.. मेरी पीड़ा...कैसे संभालें खुद को उस वक्त?
समाधान:-
◆आप किसी बात को लेकर बहुत दुखी हो। आप क्या करते है? वहीं वहीं बात मन में स्थान देते है, ऐसा क्यों हुआ, कब तक ये चलेगा? बस मेरी जिंदगी में इससे बड़ा दुख है ही नहीं। कितना सहन करूं। मेरा दुख कोई समझ नहीं सकता। ऐसे विचारों से मन को दुःख के खाई में डुबो देते है हम।
◆जब ऐसी बात आपके साथ हो रही है, तब ये याद करना कि आपके साथ जो घटा है वैसा ही कुछ या उससे भी ज्यादा दुखद इस दुनिया में आज लाखों के जीवन में भी हो रहा है। ये सत्य है, इस दुनिया में बहुत से व्यक्ति आपके जैसे ही पीड़ा से गुजर रहे होंगे (डॉ. श्वेता सिंह)या गुजर रहे है और फिर भी वो बड़ी धैर्यता से सहनशीलता से उस दुःख को पार कर रहे है।
देखना आपका दुख ये जानकर आधा ही हो जाएगा। लेकिन कुछ दुःख कि घड़ी में खुद को संवार लेते हैं कुछ हताश होकर बिखर जाते हैं। दुःख के बारे में आप जीतना सोचेंगे उतना ही दुःखी होते जाएंगे। सुख के बारे में जीतना सोचेंगे उतना ही दुःख आपकी जिंदगी से दूर होता जायेगा।
◆आपको जब पता चलता है कि आप अकेले नहीं हैं, आपके जैसे दुखी और कई है तब भी हिम्मत आती है ये सोचकर कि बाकी सब अगर खुशी खुशी ऐसे दुःख के साथ जीवन जी रहे है, तो मैं क्यों नहीं जी सकता। धैर्यता तो मुझमें भी है चलो जो हुआ उसे स्वीकार कर लेती हूं/लेता हूं। आगे बढ़कर जीवन की खूबसूरती को देखते हैं। ऐसा सोचने से ही देखना आपका दुःख हल्का हो जाएगा।
◆ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि कहते है ना दुःख बाटने से कम होता है और जब पता चलता है कि ऐसा तो बहुतों के साथ हुआ है और वो तो मुझसे ज्यादा खराब परिस्थिति से गुजर रहे है तब भी हमें अपना पहाड़ सा दुःख छोटा राई लगने लगता है।
◆ये भी मानव का स्वभाव है, जब हम औरों का दुःख खुद के दुःख से बड़ा देखते है तब खुद के दुःख को भूलने लग जाते है।
◆हम सब जीवन में तभी सन्तुष्ट या शांत रह सकते है, जब हम अपनी जीवन की कमियों को दुःख को नहीं बल्कि प्राप्तियों को याद रखते है।
◆हम ये याद रखें कि प्रभु ने मुझे मेरे हैसियत से ज्यादा दिया है। अगर प्रभु की कृपा ना होती तो शायद आज मेरा जीवन इससे भी खराब होता। इसलिए जो भी जीवन है जो अच्छा है उसके लिए बार बार धन्यवाद करें। क्योंकि हम हमेशा दूसरों के सुख के बारे में ज्यादा सोचते हैं हमें परमात्मा ने कितना दिया ये हमें कभी याद ही नहीं रहता दूसरों को कितना मिला ये हमेशा याद रहता है।
इससे कृतज्ञता (आभार) के भाव से भी जो कमी है जिसकी वजह से पीड़ा होती है वो कम हो जायेगी ।
◆कर्मो का नियम भी याद करें की मेरे साथ जो भी हुआ है वो मेरे ही किसी भूतकाल जन्म के कर्म का फल है। मैंने भी किसी ना किसी को जाने अनजाने ऐसी ही पीड़ा पहुंचाई होगी तभी वो आज दुगुनी होकर वापस मुझे मिल रही है।इसलिए दिल से उस अनजान व्यक्ति से कई बार मन ही मन माफी मांगे और उसके लिए भी दुआ करें।
◆Law of attraction (आकर्षण का नियम) को समझें। अर्थात हम जैसे भाव मन में रखते है वैसी ही ऊर्जा को अपनी तरफ खींचते है।
इसलिए बार बार दुःखी रहेंगे,लाचार,कमजोरी वाली भावना मन में रखेंगे तो आप और ही कमजोर और निराशा को खींचते जाएंगे।
इसलिए जितना भी सुख /अच्छा आपके जीवन में है उसका आनन्द मनाए खुश रहें सन्तुष्ट रहें।
◆अच्छा और बूरा गुण स्वभाव हम सब में है। हम हमेशा औरों के अच्छे गुण को ही देखे और उनकी तरफ अपनी सकारात्मक भावनाओं को रखें।
तब भी हम जीवन में सकारात्मक ऊर्जा से जी पाएंगे।
◆दुःख की भावना आते ही या मन में मायूसी छाते ही हम ऐसा बहुत कुछ कर सकते है, जिससे हमारी मायूसी मिनटों में दूर हो सकती है।
जैसे प्रकृति में घूमने जाए, आकाश की तरफ देख कर अच्छी अच्छी बातों को सोचे, मेडिटेशन करें,अच्छे गाने सुने, नहाए, कुछ पसंद की चीज करें, गीत सुने या किसी चरित्रवान महान व्यक्ति की किताबें पढ़े, डायरी में लिखें, बच्चों के साथ समय बिताए, व्यायाम करें, दौड़ने जाए, टीवी देखें,घर की सफाई करने लगें, समाज सेवा करें, किसी जरूरतमंद की मदत करें, कुछ भी ऐसा करे जो आपकी मायूसी को दूर कर सकें।
बस ये याद रखें, आप अकेले नहीं है। आपसे प्रेम करने वाले कोई ना कोई है दुनिया में। अगर नहीं भी है तो ये अविनाशी प्रकृति आपके साथ है ,परमपिता परमेश्वर आपके हमेशा साथ है। उनसे जुड़े,उनसे प्रेम करें, उनसे बातें करें, अपने मन की हर बात उनसे सांझा करें।
आप जो सबको देंगे वहीं आपको मिलता जाएगा।
अच्छा सोचें,अच्छा बनें। अपेक्षाएं कम कर दें। तो जीवन अच्छा लगने लगेगा।(डॉ. श्वेता सिंह)

© Dr.Shweta Singh