प्रकृति और पेड़
जेठ की गर्मी जहाँ पेड़ों के पत्ते गिर जाते हैं। जब सुबह से ही सूरज आग बरसाना आरंभ कर देता है ।गर्मी के यह तीन चार महीने इन पेड़ों के लिए किसी सालों से कम नहीं होते हैं। आप स्वयं सोचिए जब इस गर्मी में आपका गला सूखता है ।और लगता है कि कहीं ठंडा पानी मिल जाए, तो जान -में -जान आ जाए ,इस भीषण गर्मी में यह पेड़ बस खड़े रहते हैं ।इनको पानी की बूंद तक नसीब नहीं होती है ।कभी सोचा है आप सब ने इन पेड़ो का क्या हाल होता है । शायद नहीं है क्युकि यह तो मानवीय प्रकृति है। कि वह स्वयं के बारे में ही सोचता है। तो इन पेड़ो के बारे में क्यु सोचेगा, यह प्रकृति ही है जो हमें हमेशा निस्वार्थ भाव से ही सब कुछ देती है । मनुष्य के तो हर भाव में स्वार्थ निहित होता हैं ।इस प्रकृति और पेड़-पौधों के कारण ही मनुष्य का जीवन संभव है । पेड़-पौधों और प्रकृति के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती एक पेड़ प्रतिदिन इतनी ऑक्सिजन पैदा करता है कि चार इंसान जिंदा रह सकें ,यह पेड़- पौधे धरती मां का हम पर विशेष उपहार हैं ।पेड़ धरती पर जीवन का प्रतीक है । फिर भी सब कुछ जानते हुए मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु इन पेड़ों का ही बलिदान दिया जाता है ।यह धरती हमारी माँ है इस पर हम अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाकर प्रकृति की रक्षा कर सकते हैं ।लेकिन जरा सोचिए इतनी गर्मी में जब हम घर से बाहर निकलते हैं तो हमारा हाल - बेहाल हो जाता है ।जेठ के महीने में जहाँ गर्मी का प्रकोप होता है तापमान का पारा चढ़ा रहता है क्या इतने तापमान में लगाए गए पौधों का विकास संभव है ।जब हम मनुष्य सब सुख -सुविधाओं के होते हुए भी इतने तापमान को नहीं सह पाते तो यह नन्हें पेड़ पौधे कैसे विकसित होंगे ;वह तो पश्चिमी देशों में मौसम ठंडा होता है :वह अपनी मौसम विज्ञान के अनुसार पेड़ लगाते हैं ।लेकिन भारत में इस समय तापमान ज्यादा होता है जिससें पेड़ विकसित नहीं हो पाते है ।आप ही सोचिए विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल लाखों पेड़ लगाए जाते हैं। वह विकसित हुए हैं एक बात सभी ईमानदारी से बताए कि गत वर्ष आपने जो पेड़ लगाए थे वह जीवित है ।आप में से अधिकांश का जबाब होगा .नहीं; पेड़ इतने तापमान को नहीं सहन कर पाते और सुख जाते हैं। हर साल हम पेड़ लगाते जाते हैं भारत में पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून में है ।आप मानसून में पेड़ लगाए तो उनका सतत् विकास होगा और और उन्हें ज्यादा देख -रेख की आवश्यकता भी नहीं होगी ,इसलिए सजग बनिए और मौसम के अनुसार पेड़ लगाएं पेड़ हैं। तो हमारा जीवन संभव है प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है
© Satyam Dubey
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