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कुछ सवाल!


मै अतीत में लौटना चाहता था,
फिर अचानक से खयाल आया मेरे पास अतीत में जाने का कोई रास्ता नही है।
लेकिन वर्तमान की हर चीजें मुझे धुंधली दिख रही थी।
हर चीजों की धुंध मुझे हमेशा मुझे अतीत में खींचने लगती हैं।
और मानो चीख के मुझसे कहती हों
मेरा धुंधलापन अतीत का है वर्तमान का नही।

मुझे हमेशा से सिखाया गया था अतीत, वर्तमान और भविष्य में फासले होते हैं लेकिन मुझे सब एक दूसरे से जुड़े हुए दिखाई दे रहे थे।
मुझे हमेशा लगता था मैं कुछ खो रहा था
क्या पता नही था।
शायद लोगों को खो रहा था,
या शायद अपनो को या जिनको कभी अपना मानता था,
या फिर अनजाने में अपने आप को।
इस खोने और पाने की जंग में मैं कुछ हार रहा था पर क्या लोग या फिर मै वक्त हार रहा था।
शायद ये वक्त ही था क्योंकि लोग वक्त के साथ बदलते रहते हैं मुझे वक्त ने ही बताया।
लोग अक्सर कहते थे लौटना बहुत मुश्किल होता है।
पर क्या ये लौटना अतीत में लौटना था।
मुझे लगता है शायद लोग इसके बारे में नही कह रहे थे क्योंकि वर्तमान से अतीत में लौटना महज चंद सेकंड्स का काम था।

फिर अचानक से मै जैसे कहीं से लौट आया हूं।
फिर मैंने खुद को उपदेश देना शुरू किया
की जो हम चाहते हैं वही होता है,
फिर मेरे मन में हर बार की तरह प्रश्न आया।
क्या वाकई में जो हम चाहते थे वही हुआ हमारी जिंदगी में।

फिर अचानक से कुछ पढ़ी हुई किताबों को याद आई जो मैने चंद सालों में अपने एकेडमिक के दौरान अंग्रेजी साहित्य में पढ़ी हर विषय का अपना एक अतीत, वर्तमान और भविष्य होता है।
साहित्य का भी कुछ प्राचीन साहित्य पढ़के और थोड़ा उनको जानकर लगा की हमारे भाग्य में जो लिखा होता है शायद वही हमारा होता है।
फिर अचानक से फिर से एक सवाल आया,
क्या भाग्य वाकई पहले से लिखा गया था,
या हम जो कर रहे हैं वो करना पहले से लिखा था,

फिर मुझे एक दुविधा फिर से हुई
हम जो करते हैं वही भाग्य का रूप ले लेता है या फिर जो भाग्य में लिखा होता है वही हम करते हैं

© chayansays...