...

2 views

खत.…...
उसका लिखा हुआ खत आज भी मौजूद है पास मेरे,
बहुत ही मोहब्बत से संभाला हुआ है मैने उसे,
उसमें उसने मेरे बारे में लिखा था जो भी वो मैं
हर रोज पढ़ता हूं,
हर शब्द की बारीकियों को समझता हूं,
उसके लिखे हर लफ्ज़ के एहसास को फिर से महसूस करता हूं,
भरी हुई है उसने है हर लफ्ज़ में मोहब्बत,
वो झूठी है या सच्ची हर रोज बस उसी की परख करता हूं,
पढ़ पढ़ के कभी खूब रोता हूं तो कभी जोर से हंसता हूं,
अपने अंदर के गमों से हर रोज लड़ता हूं,
बुरा वो था या मेरी तकदीर बस इसी कसमकस
में हर रोज उलझता हूं...

वो आए तो पूछ ही लूंगा उससे की क्या थी वजह..
बस ऐसी ही उम्मीद में हर रोज उसका इंतजार करता हूं...

उसकी याद में दिल को बहलाने के लिए उसी के लिखे खत पड़ता हूं....

कभी आ भी जाओ ना अपनी इन यादों के साथ...
तेरी याद में साहेब में हर रोज मरता हूं.......!

© Ashish panwar (साहेब)