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बूढ़ी अम्मा भाग १०
सौभ्य के पिताजी सौभ्य के घर आते हैं।
सौभ्य से इतने दिनों बाद मिलने पर भी कुछ उखड़े
उखड़े लग रहे थे।
इसकी वजह भी शायद सौभ्य की पसन्द थी न जाने उसने बेर वाली लड़की में ऐसा क्या देखा।
सौभ्य के पिताजी.. मुझे तो उनके घर जाने में भी शर्म आएगी।
सौभ्य . .पिताजी इंसान धन से नहीं कर्म से अमीर होना चाहिए।
मुझे ये भी पता है आप इसलिए देखने जा रहें हैं ताकि मैं कोई ऐसा वैसा कदम न उठा लूँ।
मैं उन लोगों में से नहीं जो अपने पिताजी के दुख
का कारण बनूँ और हाँ आपसे अधिक मैं उन लोगों
को नहीं पहचानता।आपने पाला पोसा बढ़ा किया है आपको मेरे विषय में निर्णय लेने का पूरा हक़ है।
आप जो मुझसे उखड़े उखड़े हो मेरे लिए ये किसी
सजा से कम नहीं यदि आप मुझे खुश देखने के लिए अपना निर्णय बदल सकते हैं।तो मैं भी बदल
सकता हूँ।
सौभ्य के पिताजी ..नहीं बेटा ऐसा कुछ नहीं है
मैं कल ही उनके घर जा शादी की बातचीत करता हूँ।
दूसरे दिन सौभ्य के पिताजी बहुत खुश नज़र आ रहे थे।सौभ्य भी अपने पिताजी के साथ कोयली के घर
शादी की बातचीत करने के लिए चल दिया।
कोयली को सौभ्य ने पहले से ही बता रखा था इसलिए उसने घर को व्यवस्थित करके रखा था।
आज कोयली के पिताजी भी कुर्ते पैजामे में एक
सभ्य इंसाँ दिख रहे थे।
कोयली के पिताजी ने सौभ्य के पिताजी की आवभगत की।कोयली ने आकर सौभ्य के पिताजी के पैर छुए।बेर वाली अम्मा थोड़ी डरी हुई थी इसलिए शायद पानी लाते हुए उनके हाथ कांप रहे थे।उनके हाथ से कहीं गिलास गिर न जाए इसलिये कोयली ने झट जा गिलास अपने हाथों में ले लिया।
पिताजी ने पानी पीते हुए पूछा बेटा कितनी पढ़ी हो।
कोयली कुछ कहती उससे पहले अम्मा कहने लगी
ये पढ़ना तो चाहती थी लेकिन घर के हालतों के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
पिताजी कहने लगे तुम लोग दो पैसों के लालच में
बच्चों का भविष्य चौपट कर देते हो।
पिताजी ने कोयली के सिर पे हाथ फेरते हुए कहा
बेटा अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है।
पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती।
वैसे मुझे अपने घर के लिए एक पढ़ी लिखी बहु चाहिए।
पिताजी ने एक तरह से इन्कार ही कर दिया था।
कोयली को शर्मिंदगी महसूस न हो इसलिए सौभ्य ने कहा।
अम्मा आप चिन्ता न करें जब तक कोयली पढ़ना लिखना नहीं जान लेती तब तक मैं इंतज़ार करूँगा।

© Manju Pandey Choubey