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नवरात्रि नवदुर्गा: मां के नौ रूप
नवरात्रि के नवें दिन मां के सिद्धिदात्री रूप के पूजा का विधान है
इन्हें आदि शक्ति भगवती के नाम से
अभिहित किया जाता है ये कमल के आसन पर विराजमान है मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। दाहिनी ओर नीचे वाले हाथ में चक्र
ऊपर वाले हाथ में गदा, बाईं ओर नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है।
मां दुर्गा की इन्हीं शक्ति रूपा देवी की उपासना करके भगवान शंकर ने सिद्धियां
प्राप्त की थी। इन्हीं की पूजा करने से भगवान शंकर का आधा शरीर नारी का हो गया था। तभी से भगवान शंकर अर्द्धनारीश्वर के रुप में जाने जाते हैं।
मां का अलौकिक रुप हमें अज्ञान,असंतोष आदि तामसिक वृतियों से दूर
रखता है। इनकी पूजा करने से मनुष्य उत्साह
और संतुष्टि से परिपूर्ण रहता है।यह हमारी अति महत्वकांक्षाओं पर रोक लगाता है जिससे हमें परम सुख और शांति की प्राप्ति होती है मां सिद्धिदात्री की उपासना से आर्थिक
संकट तो आते ही नहीं।
मां सिद्धिदात्री को लाल रंग
विशेष प्रिय है।इन देवी को भोग में नौ प्रकार के फल अर्पित करते हैं और नौ ही प्रकार के
फूल चढ़ाने चाहिए।

जय माता की।
© सरिता अग्रवाल