...

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मुलाकात
एक आखिरी मुलाकात..
रोज की तरह मैं चाय की टपरी पर पहुंचा और अपनी पुरानी स्प्लेंडर पर बैठा - बैठा चाय के लिए बोला ही था कि पीछे से आवाज आई.."अक्षय",
आवाज जानी-पहचानी सी लगी,आश्चर्य से मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अचानक ग्लास हाथ से छूट गया, मैं 7साल पीछे की दुनियां में खो गया, होश संभालते हुए देखा कि एक खूबसूरत महिला अपनी कीमती गाड़ी से कुछ दूर खड़ी, गाड़ी से अपने बेटे को बुला रही है जिसका नाम भी अक्षय था , अब मेरे मन में हजारों सवाल दौड़ने लगे मैं असमंज में था कि उससे बात करूं या नहीं, मैं इस उधेडबुन में उलझ रहा था तभी फिर से आवाज़ आई.. "अरे अक्षय, तुम यहां"
इस बार यह मेरे लिए...