...

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तहरीर!!
#TheWritingProject
लिखना है वसीयत उन तमाम यादों की
जलाया था जहाँ मैने तुम्हारे वादों की
तहरीर
मैं मर जाऊँ जो कभी भी, फिर
तुम खंगालना मेरा कमरा।
बिखरा हुआ पड़ा होगा
पड़ी होंगी यादों कुछ निशानियाँ।
तुम्हें भी अश्क बह जायेगें
मेरे दर्द तुम्हें डरायेगें।
लिखा है तुम्हारे नाम मैने
कुछ सवाल जो अधूरे हैं।
तुम्हें उन सवालों टटोलना होगा
खोजना होगा जवाब
तुम्हें भी मेरे शब्दों के!!
खाली खाली पड़ी
अलमीरा में सजाए थे
अरमान कितने
बिखरे पड़े हैं
कोने- कोने में जज्बात भी कितने
संवारना होगा तुम्हें ही
निकल जाते हो
हर बार चुपचाप कमरे से
बताना होगा तुम्हें फिर से
अपनी हर बात फिर से
पड़ी जो धुंध परतों की...
अधूरी सी ख्वाहिशों की
पड़ी है तहरीर अब भी
चले आओ सजा दो,फिर
एक स्नेह की चादर से
जमी जो बर्फ रिश्तों में
प्रेम की नदी बह जाए,फिर से...
नदी जो गहरी है बहा ले जाये
अवसादों की चट्टानों को
मिले फूल घाटों पर
वही कहीं मेरी खुशबू होगी...

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