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एक नया अध्याय :भाईचारा पैसों का
जी बिलकुल, पैसा भाईचारे पर बिकाऊ है! अर्थात आपके पास मान लीजिए मकान, प्रोपर्टी आदि सब ना हो! लेकिन आपके पास गलती से पैसा आ जाता है तो आपसे आपके भाई- बंधु,अड़ोसी-पड़ोसी ही नहीं अपितु अनजान व्यक्ति भी आपके पास उठने- बैठने लगेंगे और अच्छा व्यवहार करने की कोशिश करेंगे!
भले ही फिर आपसे मनमुटाव कितना भी हो बस उन्हें आप कुछ पैसा दिखाईये! आप शीघ्र ही अपना काम भी करवा लेंगे!
"अजी ये पैसे पर चलने वाली दुनिया है ,'यहाँ केवल पैसा बोलता है"
अब मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ जैसे आप किसी भिखारी को वैसे तो अक्सर एक दो रुपये ही देते हो लेकिन किसी दिन आप उसे हजार-दो हजार रुपये देकर देखिए!
या तो वो अगले दिन आपको भीख मांगते नजर आएगा ही नहीं, या फिर आएगा तो आपसे कुछ अच्छा रिश्ता बनाने की कोशिश करेगा! और यदि आपने उस पर पैसों ज्यादा ही कृपा कर दी! अर्थात उसे अपने से ज्यादा अमीर बना दिया ये सोचकर कि बेचारा गरीब है! तो अगले दिन वो आपकी भी नही सुनेगा, बल्कि आपको वह गुलाम भी बना सकता है!
इसी प्रकार भाईचारा भी आजकल पैसे पर ही टिकाऊ है! अरे साहब! ये वो दुनिया नहीं है जिसे आप समझते है! यहाँ अच्छे व्यवहार वाले लोग भी पैसे के खातिर धोखा दे देते है! जैसे बड़े -बड़े नेता लालच के चक्कर में रातोंरात एक पार्टी को धोखा देकर पलट जाते है!
ठीक वैसे ही भाईचारा भी पैसे के दम पर बिक जाता है!
© writer-poet Jitendrak@sarkar