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एक पहेली मेरी जिंदगी की।।।(part-1)
नींद टूटी। सुबह के ५ बजगाए थे। धुंधले नज़रों से मेंने खिड़की की और देखा। धुंध छाई हुई थी, सर्दी का मौसम था। ठंडी बाद- ए- सबा( सुबह की ठंडी हवाएं) महसूस हो रही थी। सुबह दौड़ने जाना मेरी आदत बन गई है।
मैंने दरवाज़ा खोला। थोड़ी रोशनी थी। मै निकल गया juggling के लिए। पहाड़ी जगह है, सड़क के दाईं और एक बड़ी पहाड़ी है। और उसके बाईं और लगभग १००-१५० फीट गहराई। नमी के वजह से एक अलग ही खुस्बू, महक महसूस होती है हवा की ,पहाड़ियों की, मिटटी की। लगता है जैसे एक अलग ही दुनिया हो। जन्नत सा लगता है।
आगे मै बढ़ रहा था। गहरी धुंग के बीच से आगे से किसी की आने की आहट सुनाई दी। धुंध के बीच एक परछाई सी नजर आईं। थोड़ी साफ दिखाई दी तब प्यारी सी सूरत लिए एक लड़की धीरे से आगे बढ़ रही थी। थोड़ी पास आईं तो दीदार उनकी प्यारी आंखों का हुआ, काले घने जुल्फें। मासूम सा चेहरा।
एक अजीब सा एहसास था जैसा कभी नहीं हुआ। लगा जैसे आस पास वक्त ठहर सा गया हो। धीमे धीमे हवा का बहना, पत्तों का हिलना जैसे बहत धीरे से हो रहा। वो धीरे से मेरे और आ रही थी। मै जैसे खो सा गायाथा। कहां? पता नहीं। मै दौड़ना भूल के रुक गया। उसकी प्यारी आंखें जैसे मेरे और देख रही थी। हां वो मेरे और ही देख रही है। वो हाथ ऊपर उठा के थोड़ी सी लहराई। थोड़ी सी मुस्कुराई और धीरे धीरे आगे बढ़ गई। गहरी धुंध में धीरे धीरे गुम हो रही थी। धीरे से उसकी परछाई फींकी होती गई। आहिस्ते से वो गायब हो गई।
उसी और से एक SUV धुंध में से तेजी से निकलती दिखी। और जोर की आवाज़ के साथ मेरे बहत पास से निकल गई। में चौंक गया। लगा जैसे वाकेई सायाद अभी मेरी नींद टूटी, क्या मै कोई सपना देख रहा था? फिर महसूस हुआ एक जोर का मुक्का मेरे पीठ पर। हंसते हुए खिल्ली उड़ाया जा रहा था। पीछे देखा तो पिंकू भैया थे। "हां यह कोई सपना नहीं मुझे दर्द हुआ मुक्के से" बोल बैठा। वो बोले क्या हुआ यहीं खड़ा है तू? वो मुझसे २ साल बड़े हैं। मैंने कहा " गहरी धुंध में से एक नूर निकल के आईं, खो गया और वो छु के चलीगई"। भैया हंसते हुए मेरी पीठ थपथपा के बोले " इतने दिनों बाद कोई उम्दा सायरी सुनने को मिला। हम हंसते हुए निकल गए आगे।
( yeh pehla part hai. agar yeh aaplogon ko achha lage toh mai likhna continue karunga)

© newtoshayari