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ajnabi aurat
सुमित घर जाने के लिये बस स्टैंड पे खड़ा था आज उसकी गाडी खराब हो गयी थी इसलिये बस पकड़नी पड़ रही थी  काफी देर से बस का इन्तजार करते करते परेशान हो चुका था सुमित बडबडाते हुये ओह ये बस जाने कितनी देर मे आएगी वह अपनी घड़ी देखता है घड़ी मे 10.30 बज रहे थे अंधेरा और सन्नाटा अपनी चरम सीमा पे था सबकुछ शांत था ठंड भी थोड़ी थोड़ी बढ़ने लगी थी सुमित को अब ठंड भी लगने लगी थी बेटा आज तो तू फंस गया वह खुदसे कहता है एकबार तो सुमित ने सोचा घर पे फ़ोन करके गाडी मंगवा लू फिर इरादा बदल दिया अपनी बीवी को फ़ोन करने की  सोचता है मगर करता नहीं जाने वह कितने सवाल पूछेगी तभी उसे किसी गाडी के आने की आवाज़ आती है तो वह उस और देखने लगता है मगर ये क्या वह गाडी इधर ना आके दूसरी दिशा की तरफ चली जाती है सुमित निराश हो जाता है और जैसे ही अपना मुंह फेरता है तो चौंक जाता है कुछ ही दूरी पे उसे एक औरत खड़ी दिखाई देती है अरे ये मैडम कौन है पहले तो नहीं थी यहा ये कब आयी और किधर से आयी सुमित उसे ठीक से देख नहीं पा रहा था क्युकी उसने अपना मुंह थोड़ा फेर रखा था...