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अदृश्य ( अंतिम भाग)

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तो अब तो आपने जाना की कैसे मुझे अदृश्य का एक और राज पता चलता है की वो दृष्टि का भाई नही है।
अब आगे...✍️

मेरी बात सुनकर सभी लोग हैरान थे।
ओर Mr. वर्मा ने मेरे घरवालों को भी बुला लिया ! धीरे धीरे ये बात पूरी सोसायटी में फैल गई।की Mr. verma के थर्ड फ्लोर पर कोई भूतिया साया है। जो केवल मुझे दिखता है।
मेरे घरवाले भी बहुत परेशान हो गए है।
तभी पंडित जी बोले देखिए आप लोग चिंता मत कीजिए ।
उस आत्मा ने अभी तक आप में से किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। मुझे लगता है हम एक बार उसकी शांति के लिए पूजा कर लेते है।
पंडित जी मुझसे बोले " बेटा क्युकी तुम ही उससे बात कर सकती हो तो उससे जाकर पूछो की वो क्या चाहता है । ओर क्या उसकी कोई ऐसी इच्छा है जो वो पूरी न कर पाया हो!
" जी पंडित जी आपने सही कहा मैं उससे बात करती हु।वो मुझे कोई नुकसान नहीं पहुचायेगा ! मेने बोला और में तेजी से थर्ड फ्लोर पर गई।

अदृश्य बालकनी की तरफ मुंह करके खड़ा था।
मेने चिल्लाते हुए बोला" ओर क्या क्या राज है तुम्हारे ! मुझे सच बता नही सकते थे ! की तुम दृष्टि के भाई नही कोई और हो ! मैं किसी को कुछ नही बताती!
अदृश्य ने मेरी तरफ़ मुड़ते हुए कहा " तुमने सब कुछ तो बता दिया मेरे बारे में!
पहली बार मैंने उसके चेहरे पर गुस्सा देखा उसकी आंखे लाल हो चुकी थी। शायद उसको पता चल चुका था।की सब उसका राज जान गए थे।

अदृश्य गुस्से में बोला" हां नही हूं मैं दृष्टि का भाई! जहां तक ही उसके आने से पहले में उसे जनता भी नही था! मैं तो यहां तबसे हूं जब इस सोसायटी में कोई भी नही रहता था!
इस सोसायटी को मेरे पापा ने बनवाया था। ओर तब हमारी फैमिली भी यहां रहा करती थी।
लेकिन तभी एक दिन मेरी पूरी फैमिली मनाली गई हुई थी।केवल मैं घर पर था ।तभी 2 दिन बाद मुझे पता चला की मेरे पूरे परिवार का एक्सीडेंट हो गया है। उनकी कार एक खाई में गिर गई।ओर कोई भी नही बचा ! काश!! मैं भी उनके साथ ही चला गया होता ! फिर बाद मैं इस सोसायटी को बेच दिया गया । ओर लोग इसमें फ्लैट्स खरीदने लगे । लेकिन मैं यही रहा ! क्युकी मैं इसमें अपने परिवार को महसूस कर सकता हूं।
लेकिन तुम्हारी वजह से अब मुझे यहां से जाना होगा ।ये तुमने बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया !

अदृश्य गुस्से में मेरी ओर आया!
मेने डरते हुए कहा " s.. s sorry!! अदृश्य प्लीज शांत हो जाओ! मैं...मैंने जानबूझकर किसी को कुछ नहीम बताया। ये कहते हुए में बिलकुल बालकनी के किनारे पर पर आ गई!
अदृश्य गुस्से में मेरी तरफ आ रहा था!
ओर उसने गुस्से में कहा अब तुम्हे भी जाना होगा यहां से तब तुम्हे मेरी परेशानी समझ आएगी!!! !
ये कहकर उसने मुझे बालकनी सेधक्का दे दिया ...!

ओर मैने डर कर आंखे बंद कर ली । जैसे ही मैं जमीन से टकराई ...! मेरी आंखें खुली
मैं कांपते हुए उठ गई !
खिड़की से बाहर देखा तो सुबह का समय था घड़ी में 7 बज रहे थे। मेने कांपते हाथो से पास रखा पानी का गिलास उठाया। ओर पानी पिया..!
क्या ये सब इक सपना था ?
मतलब जो अब तक चल रहा था वो बस एक सपना था ! ओह!!! कितना डरवाना सपना था! मैं भी न आज से यह डरावनी कहानियां पढ़ना बंद करूंगी।
तभी मां सा की आवाज आई !
अरे आज तो sunday है! फिर भी तुम बिना आवाज दिए उठ गई! चलो अच्छा है।
yes!! मां! मैं नीचे आती हु अभी।
फिर मै अपनी बालकनी में गई और सामने वाले घर को देखने लगी।जिस पर अभी भी ताला लगा हुआ था!
thank God ! सपना ही था ! " ये सोचते हुए में खुश हो ही रही थी की ...
तभी एक गाड़ी उस घर के सामने आकर रूकी ! उसमे से एक अंकल और आंटी कुछ सामान लेकर निकले !
ओर एक लड़का भी पीछे वाली सीट से उठा ! जिसका मैं चेहरा नही देख पाई।
अंकल ने उसे बोला" अदृश्य बेटा गाड़ी की डिग्गी में से बाकी सामान निकालो ! ओर घर की चाबी मुझे दो !!!

क्या???? अदृश्य !!!!
ओह!! m shoked !

कहानी समाप्त!✍️

Thanks for reading !
🙏🙏🙏
इस कहानी में मुझे छोड़कर बाकी सारे पात्र ओर घटनाए काल्पनिक थे!😌 जैसा की आप सभी इस कहानी को पड़कर समझ ही गए होंगे ! ये कहानी बस मेरे काल्पनिक विचारो की उपज है।
धन्यवाद ✍️🙏
😊😊😊.....