...

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बात इतनी सी है........
बात इतनी सी है की....

""उसका और मेरा शहर एक नही है
कभी कभी तो रोज बात भी नही होती
फिर भी न जानें क्यू,
हर खुशी सबसे पहले उसे सुनाने को मन करता है हर दुख उसे बताने का मन करता है,
""उसे लगता हैं मैं उसे सोचता नही हूं
मैं कैसे उसे ये बताऊं की मैं उसके अलावा कुछ सोचता नही,

""काश हम उन्हे बता पाते की जब भी वक्त मिलता है अकेले में तो उनको याद करने में वक्त गुजर जाता हैं,,,
"लेकिन कभी कभी हम जरुरी बातो को बता नही पाते अक्सर हम डरते हैं उन इन्सान को खोने से आख़िर ऐसा क्यो ये तो मन ही जाने या उसकी ख्वाहिश भरी वेदना..

""हम अक्सर जिनसे दूर होते हैं तो लगता है,
हम उनके बिना भी पूरे हैं....
लेकिन सच्चाई कुछ और होती है,
हम अक्सर अधूरे होते
""और जिस भी महफिल में जाते है हम एक उसी चेहरे को देखते हैं उन्हें खोजते हैं हर किसी में............