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क्या लड़की होना गुनाह है?
#आजादी
आज की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए जो अपने परिवार के बीच होते हुए भी अकेली है ।ऐसे ही एक लड़की थी सीमा ,जो एक गांव में पली बढ़ी एक सिंपल सी लड़की थी ,लेकिन अब उसकी जॉब शहर में लग गई थी। अपनी अनुभवों को जाहिर कर सीमा कहती है मुझे अपने गांव ग‌ए 1 साल से भी ऊपर हो गया मन बहुत करता है कि मैं अपने गांव जाऊं पर मैं मन को मना लेती हूं गांव नहीं जाने के लिए ।मम्मी की बहुत याद आती है पर वीडियो कॉल पर ही उन्हें देखकर संतोष करना पड़ता है ।किसी ने रोका नहीं है मुझे जाने के लिए लेकिन मैं जाना नहीं चाहती ,ऐसा नहीं है कि कोई मुझे प्यार नहीं करता या मेरा सम्मान नहीं करता या मुझे मेरे गांव में किसी चीज की कमी है तकलीफ है ऐसा कुछ भी नहीं है। वहां पर सब बहुत अच्छे हैं,पर वह नहीं है जो हर लड़की चाहती है आजादी ।शहर में बहुत मुश्किल होती है ड्यूटी के साथ-साथ घर संभालना पर मैं खुश हूं यहां क्योंकि यहां कोई यह कहने वाला नहीं है तुम कहां जा रही हो? यहां कोई यह कहने वाला नहीं है ,तुम क्यों जा रही हो ?तुमने ऐसे कपड़े क्यों पहने हैं ?तुम वहां नहीं जा सकती ,तुम यह नहीं कर सकती तुम वह नहीं कर सकती यह कहने वाला यहां कोई भी नहीं है ।यहां मेरा मन नहीं लगता पर मैं यही रहना पसंद करुंगी क्योंकि यहां आजादी है जो मुझे गांव में नहीं मिलेगी ।बात सिर्फ मेरी नहीं है यहां, उन लाखों लड़कियों की है जो आज भी कहने को तो अपने घर में रहती है पर वह उन पुरानी रुढियों से बने पिंजरे के सिवा कुछ नहीं है,जिसमें रहना उनकी मजबूरी है और वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती । कैद है हम इस घर रुपी पिंजरे में,हम भी खुले आसमान में उड़ना चाहती है पर हम नहीं कर सकते हमारी हिम्मत नहीं है इतनी कि हम हमारे परिवार वालों को नक्कार कर इन रुढियों को तोड़ने की भी कोशिश हम करें क्योंकि पीछे हमें सपोर्ट करने वाला कोई भी नहीं है ।यही सब कहते कहते सीमा की आंखों में पानी आ गया आगे सीमा कहती है कि यह सिर्फ मेरे विचार नहीं है यह हम जैसी लाखों लड़कियों की जिंदगी है जो आज भी उस घर नाम के पिंजरे में कैद है ।
इतना सब कुछ कहने के बाद सीमा कहती हैं मैं जाना चाहती हूं अपने घर ,अपनी मम्मी से पापा से सब से मिलना चाहती हूं ।शहर में यहां अपना कोई भी नहीं है पर मैं वहां नहीं जाऊंगी ।ड्यूटी से जब भी छुट्टी होती है घर की बहुत याद आती है । फिर भी मैं वहां नहीं जाऊंगी मैं अपनी आजादी को खोना नहीं चाहती और वह कहते हैं ना कि अगर आपको दो ऑप्शन हो -एक की आपको कीमती चीज मिले और दूसरी आजादी तो मैं आजादी को चुनूंगी । सबसे बड़ी दौलत होती है हर किसी के लिए और यह बात कोई नहीं समझ सकता सिवाय एक लड़की के ।
पता है एक बार मैंने कहीं पर पढा था कि एक लड़की पैदा होती नहीं उसे पैदा होने के बाद लड़की बना दिया जाता है ।समाज के बंदिशों को लाद कर ,इन पुराने संस्कारों को उन पर थोप कर उन्हें लड़की बना दिया जाता है ।आज सोचती हूं तो लगता है कि शायद यह बात उस इंसान ने कहीं होगी जिसने इन सब को झैला होगा और शायद वह भी एक लड़की ही रही होगी
यह बात केवल एक लड़की की नहीं है यह लाखों उन लड़कियों की जिंदगी है जो आज भी आजाद नहीं है।
बात सिर्फ यहीं पर खत्म नहीं होती यह तो उन लड़कियों की कहानी है जिनको उनके परिवार वाले बोझ नहीं मानते । जो यह कहते हैं की लड़कियां बोझ नहीं होती बेटों के बराबर होती है ।लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग लड़कियों को बोझ मानते हैं वह लड़कियां कैसे जीती होगी ?न जाने उन्हें क्या-क्या सहना पड़ता होगा
इस बात की आप कल्पना भी नहीं कर सकते
तो मैं पूछती हूं आप सब से क्या सच में लड़की होना एक गुनाह है.........😔