meri MAA or ghar
मायका और माँ ( कितनी खूबसूरत सच्ची कहानी है ).
माँ थीं तो मोहल्ले भर को मेरे आने का पता होता था
माँ थीं तो बने होते थे राजमाह चावल पुदीने की चटनी
माँ थीं तो बिलकुल बुरा नहीं लगता था
बिस्तर में लेटे रहना , सुस्ताना , टी वी देखना , चाय पीना
माँ थीं तो अपने साथ साथ मेरे लिए भी डाल लेती थीं आम का अचार साल भर के लिए
ले लेती साल भर के लिए देसी चावल
जब छोटे छोटे बच्चों के साथ जाती
तो कहती
भूल जाओ सब , आनंद करो , मस्ती...
माँ थीं तो मोहल्ले भर को मेरे आने का पता होता था
माँ थीं तो बने होते थे राजमाह चावल पुदीने की चटनी
माँ थीं तो बिलकुल बुरा नहीं लगता था
बिस्तर में लेटे रहना , सुस्ताना , टी वी देखना , चाय पीना
माँ थीं तो अपने साथ साथ मेरे लिए भी डाल लेती थीं आम का अचार साल भर के लिए
ले लेती साल भर के लिए देसी चावल
जब छोटे छोटे बच्चों के साथ जाती
तो कहती
भूल जाओ सब , आनंद करो , मस्ती...