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जंगल २
आपने पिछले भाग में पढ़ा कि दो दोस्त रवि और सुदीप जंगल में टायर पंचर होने के कारण फस जाते हैं और उन्हें एक ट्रक वाला मदद करता है, बाकी की कहानी इस प्रकार है


कार को टोचन लगाने के बाद रवि और सुदीप अपनी गाड़ी में बैठते हैं और ट्रक ड्राइवर को हॉर्न बजा कर इशारा करते हैं की अब चलो।ट्रक ड्राइवर ट्रक चलाता है और टोचन लगी गाड़ी उसके पीछे है, गाड़ी में बैठे रवि और सुदीप आपस में बातें करने लगते हैं और सुदीप बोलता है यार रवि ये ट्रक वाला भाई अच्छा इंसान लगता है जो हम अनजान लोगों की सहायता कर रहा है लगता है हमने अच्छे कर्म किए होंगे।
रवि जवाब देता है हां किए तो हैं मैने बाकी तेरा पता नहीं और जोर से हंसने लगता है,सुदीप उसकी तरफ गुस्से से देखता है और कहता है हां मैं तो पापी हूं जो तेरे साथ यहां जंगल में फस गया फालतू में ही ।रवि समझ जाता है को ये मजाक करने के मूड में नहीं है और उससे मजे लेने की सुझती है ,तो वो सुदीप को कहता है कि सुन ये जंगल 3 किलोमीटर सुनसान ही है और हम इस ट्रक वाले पर भरोसा करके चलें हैं अगर कुछ हो गया फिर।सुदीप कहता है कि क्या कहना चाहता है साफ साफ बोल , तो रवि कहता है अगर ये ट्रक वाला किसी के साथ मिला हो और ये हमारा कांड करवा दे तो इतना कहर रवि चुप हो गया।और सुदीप जो बेचारा पहले ही परेशान और डरा हुआ था इस बात से थोड़ा और घबरा गया , वो सोचने लगा कि यार मदद भी मैंने ही मांगी है अगर सच में ही कुछ हो गया तो ,अगर रवि का कहना सच हुआ तो। सुदीप अभी भी सोच में डूबा था इतने में रवि उसे हिलाकर पूछता है क्या सोच रहा है तू,तुझे कुछ कहा मैंने तू जवाब ही नहीं देता उसकी तरफ देखते रवि ने कहा और अचानक रवि को सुदीप के चेहरे पर घबराहट सी महसूस होती है रवि गाड़ी की अंदर की लाइट जला देता है और वो देखता है सुदीप के चेहरे पर पसीना आ गया है ,ये काफी था इतना समझने के लिए की सुदीप डर गया है।रवि तुरंत उसे कहता है भाई तू ठीक है रवि खुद डर सा जाता उसे ऐसा देख के और बोलता है सुदीप मेरे भाई में तो यूं मजे ले रहा था तू तो सच समझ था है ,देख हम दो भाई एक दम मस्त होके घर जाएंगे खूब पार्टी करेंगे ।सुदीप ज्यादा कुछ न कहता हुआ इतना कहता है भाई घर पहुंचा देना बस ,रवि उसे इधर उधर की बातों में उलझाने लगता है ताकि वो सोच से बाहर आ जाए।जंगल लगभग खत्म होने को आया और दूर एक रोशनी नजर आ रही थी सुदीप बोल पड़ता है रवि वो पंचर वाले की दुकान ही है ना ,रवि रोशनी को देखते हुए कहता है जिस तरह ये ट्रक वाला भाई बता रहा था इस हिसाब से तो यही लग रहा है। इतना सुनते सुदीप के चेहरे पर खुशी झलक पड़ती है और उसे देख कर रवि भी मुस्कुरा देता है, अब ये दोस्ती है ही ऐसी चीज़ की दोस्त को दुखी करने में मजे लेती है और दुखी दोस्त को खुश करने में सबसे ज्यादा खुश दोस्त ही तो होता है।
ट्रक ड्राइवर ट्रक का हॉर्न बजाता है और उन दोनो का ध्यान आगे सड़क की तरफ जाता है और वो देखते हैं की वो पंचर वाले की दुकान ही है ,ट्रक की गति धीमी होने लगती है और उसके साथ गाड़ी की भी । गाड़ी रुक जाने के बाद वे लोग गाड़ी से बाहर निकलते हैं और टोचन खोल कर ट्रक वाले का धन्यवाद करते हैं, "भईया आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने हमारी इतनी मदद की"। और ट्रक ड्राइवर कहता है कोई बात नहीं छोटे भाई इंसान ही इंसान के काम आता है,और हां अगली दफा जब यूं अचानक घूमने का प्रोग्राम बनाओ तो पहले गाड़ी को चेक कर लेना ध्यान से ताकि ऐसी परेशानी फिर दोबारा न झेलनी पड़े ,जी भईया जरूर ध्यान रखेंगे आगे से रवि जवाब देते हुए कहता है और ट्रक ड्राइवर अपना ट्रक लेके वहां से चला जाता है और वो दोनो अपना पंचर टायर को सही करवाने लगते हैं । थोड़ी देर बाद जब टायर सही हो जाता है तो वो उस पंचर वाले को पूछते है भाई साहब यहां कोई होटल है खाना खाने के लिए बड़ी ज़ोर की भूख लगी है यार, दुकान वाला कहता है हां भाई यहां से 2 किलोमीटर आगे जाकर एक बड़ा होटल है वहां सब कुछ मिलेगा खाना पीना सब।
सुदीप दुकान वाले को पैसे देता है क्योंकि रवि के पास छुट्टे नहीं थे और सुदीप उस पंचर को थैंक यू बोल कर गाड़ी में बैठ जाता है ,फिर वे दोनो होटल की तरफ चल पड़ते हैं जहां पहुंच कर दोनो खाना ऑर्डर करते हैं और एक एक बीयर भी ।दोनो मस्त मूड बना कर अब वापिस घर की तरफ चलते हैं और अब सुदीप के चेहरे पर भी एक मुस्कान छाई है जो बता रही है कि अब सुदीप घबराया हुआ नहीं है।



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© Kaku Pahari