...

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मां की हथेलियों का आसमान
सर्दियों की सुबह थी। कोहरे में लिपटे पेड़-पौधे शांत खड़े थे, मानो किसी के इंतजार में हों। राधिका अपनी रजाई में बैठी किताब पढ़ रही थी। तभी रसोई से उसकी मां की आवाज आई, "बेटा, नाश्ता कर ले, ठंड में खाली पेट मत रहना।" राधिका ने अनमने ढंग से जवाब दिया, "मां, आप खा लो, मैं बाद में खाऊंगी।"

राधिका की मां, सुमित्रा, ने ठंडे पानी में हाथ डुबोकर बर्तन मांजे, चूल्हे पर पराठे सेंके, और परिवार के बाकी सदस्यों...