...

25 views

शमा-परवाना
समझ में नहीं आता है मुझे...
हाँ समझ नहीं आता है मुझे कि आखिर क्यों
शमा -परवाना को माना जाता है मोहब्बत की मिसाल
क्योंकि माँ ने बताया था मुझे इसका मतलब कि -
शमा = दीपक, और
परवाना = कीट जो आता है दीपक को बुझाने के लिए
और प्रेम तो वो खूबसूरत एहसास है
जिसमें मतलब का कोई स्थान नही
नफ़रत जिसका विलोम है
जो जोड़ता है दो रूह को एक अदृश्य डोर से
और एक निस्वार्थ प्रेम ही सच्चा प्रेम होता है...
और ये परवाना जिसकी मौत को हम मानते है
एक क़ुर्बानी...
वो तो बस आता है अपने व्याकुल मन के कारण
जो आकर्षित हो जाता है किसी खूबसूरत वस्तु को देखकर
और फिर वो उसे पाना (छूना) चाहता है.. हर हाल में
और इसी पाने और बचने की जद्दोजहद में
मिटा लेता है वो अपना अस्तित्व भी....
तो क्या इस आकर्षित मन को माना जाता है... प्रेम
फिर तो ये मन आ जाता है
किसी भी लजीज व्यंजन को देखकर भी...
दुकान पर रखी कोई अनोखी कलाकारी को देखकर भी...
और किसी चरित्रहीन व्यक्ति के मन मे ख़ूबसूरती को देखकर भी
तो क्या ये प्रेम है... तो फिर तो मान लेना चाहिए इन्हे भी
प्रेम की मिसाल....

ये तो कवियों की अत्यधिक सोच का नतीजा है
जिन्होंने किसी कविता में दे दी उपाधि इन्हे नायक -नायिका की
और लोगों ने उस पर बिना सोचे,बिना हक़ीक़त जाने
कर लिया यकीन

© ©meenu🌸