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घर एक मंदिर
संस्कारो की धरा जितनी उर्वरक होती है, संस्कृति की फसलें उतनी अच्छी लहलहाती है। संस्कृतियों से परिपूर्ण हमारे सहस्रों वर्ष से गतिशील व जागरुक सभ्यता ने सदियों से घर को मंदिर का दर्जा दिया है। हमारे पूर्वजों की मान्यता रही है कि इस पवित्र मंदिर में माता-पिता रुपी दो जीवंत देवता निवास करते हैं जिनके संरक्षण में और जिनके आशिर्वाद से यह मंदिर सदैव महकता रहता है। संयुक्त परिवार की छत्रछाया मे पली एवं विकसित हुई हमारी...