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कॉलेज की प्रयोगशाला में - भाग 2
किशन : भाई मुझे भी दिखा कि वह जार कहां है? हां, यह रहा. यह तो बिल्कुल नॉर्मल है. यह तो वैसे ही जैसे पहले था. वही पीला पानी और एक मरा हुआ बच्चा और तुम क्या कह रहे थे कि यह जार खून की तरह लाल हो गया था और उसमें का बच्चा भी तुझे बुला रहा था. अभी मुझे तो पूरा शक हो रहा है कि पक्का तूने आज भांग खाया है.

नवीन : अब मैं तुमको कैसे विश्वास दिलाओ कि जो मैंने देखा और जो बताया वह सब सच था.

आशीष : मुझे लगता है की जब से हिंदी की मैडम जी पर इसकी नजर पड़ी है तब से यह पागल हो गया है, है ना?
(तीनो लोग हंसने लगते हैं) तभी वह जार टूट जाता है और उसमें का बच्चा गायब हो जाता है रूम का दरवाजा भी बंद हो जाता है वे चारों इधर-उधर भागने लगते हैं. दरवाजे को खटखटाते हैं मगर दरवाजा नहीं खुलता. वे जोर से चिल्लाने लगते हैं, "बचाओ बचाओ!,




सर!, हम लोग यहां बंद हो गए हैं. कोई तो दरवाजा खोलो. तभी वह मरा हुआ बच्चा धीरे धीरे उनकी तरफ बढ़ता है उसके चेहरे पर मुस्कान थी और हाथ में एक कुल्हाड़ी ,

मरा हुआ बच्चा : भैया! (दर्द भरी आवाज में) मुझे बहुत तेज से भूख लगी है मेरा शरीर भोजन मांग रहा है.

नवीन: (किशन से) देख मैंने कहा था ना. तुझे विश्वास नहीं हो रहा था और अब तेरी इस नासमझी की सजा हम लोगों को भुगतनी पड़ेगी मेरा तो मन कर रहा है कि अभी तुझे इस जमीन में मार के गाड़ दूं.

किशन : अरे यार बहुत बड़ी गलती हो गई. यह गलती जीवन भर याद रहेगी और लगता है हमारी मौत का कारण भीं बनेगी.

अमित : यार शुभ शुभ बोल.

मरा हुआ बच्चा : (बीच में टोकते हुए) भैया! मुझे आप लोगों से सिर्फ भोजन चाहिए और कुछ नहीं.

नवीन : ( कांपती हुई आवाज में) ए लो मेरे पास चॉकलेट है ढेर सारी, मगर हम लोगों को छोड़ दो.

मरा हुआ बच्चा नहीं भैया मुझे चॉकलेट नहीं चाहिए मुझे इंसानी खून चाहिए और इंसान का गोश्त. आप चारों मेरे लिए पर्याप्त है.

आशीष: (गुस्से में) यह तुम क्या कह रहे हो?

(तभी वह शैतानी बच्चा आशीष को कुल्हाड़ी से मार देता है) और कहता है : भैया मुझे ऊंची आवाज पसंद नही.


वे तीनों लोग इधर उधर भागने लगते हैं मगर भागने का कोई भी रास्ता नहीं था.

शैतानी बच्चा : भैया! आप लोग भाग क्यों रहे हैं? क्या आप लोग मेरी मदद नहीं करेंगे? किसी ने सही कहा है इस मतलबी दुनिया में तुम्हारी मदद करने कोई नहीं आएगा. तुम्हें अपना हक खुद ही छीनना होगा. तभी वह किशन के गर्दन पर कुल्हाड़ी चला देता है. किशन भी भगवान को प्यारा हो जाता हैं. किशन के ऊपर बैठकर वह उसके गर्दन से खून पीने लगता है यह देख कर नवीन को अमित की चिंता होने लगती है वह तो आया उन लोगों के साथ ही था मगर इस समय वहां पर मौजूद ना था.
नवीन जहां खड़ा रहता है तभी उसकी सीध में अमित की लाश गिरती है

नवीन : (रोते हुए) अमित, भाई! उठ ना. वह बेचारा पूरी तरह से टूट जाता है और मानो खून के आंसू रोने लगता है. वह अमित के शरीर को हिलाता है मगर कोई फायदा नहीं हुआ, तभी

शैतानी बच्चा : भैया मेरी भूख और बढ़ रही है.....

फिर अगले भाग में.......
क्रमशः जारी

© इस रचना के सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं
✒️ नवीन गौतम की कलम से
© Navin Rishi