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dreams v/s true love❣️(part 2)
अधूरी कहानी वहीं अटकी हुई है।।
ये क्या प्रिया,, तुम जो चाहती थी ।।।वही तो हो रहा है।।फिर जवाब देने में इतना वक़्त क्यों ......
प्रिया,,, हाँ बोल दो,, वीर तुमसे वो कह रहा है।।जो तुम सुनना चाहती थी।।(प्रिया के अंतरमन में ये सारी बातें चल रही थी)
पर प्रिया ने फ़िलहाल कोई जवाब न दिया।उसे ये भी लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं के किसी ने वीर को पहले ही बता रखा हो।कि मैं वीर को बेइंतहा प्यार करती हूँ।आज के ज़माने में प्यार होना आम बात है।,प्यार का इज़हार वो भी करते हैं।जो सच में प्यार ही नहीं करते।
ये सारी बातें प्रिया के दिमाग में चल रही थी।
प्रिया का डर जायज़ था ,ये समझते हुए वीर ने बड़े प्यार से फिर समझाया।कि शायद इतनी जल्दी इज़हार करना,तुम्हें अच्छा नहीं लगा।पर क्या करूँ प्रिया,,, मेरी माँ कहती है। शुभ काम में कभी देर नहीं करनी चाहिए।इसलिए मैंने सब कुछ आज ही कह दिया।
प्रिया ने कहा- आपको पता है,, ये सुनना.... मेरे लिए एक सपना जैसा था,,आपने खुली आँखों से उन्हें पूरा कर दिया।मुझे भरोसा है आप पर,,,पर.....मैं अब तक सिर्फ़ आपको सोचकर ही बोहोत खुश हूँ।आपको पा कर ,,,आपको खोने का दर्द मुझे नहीं चाहिए।ये सुनकर वीर ने कहा-मुझे पता है,,, कि तुम मुझे काफ़ी पहले से पसन्द करती हो और आज तुम्हारी ये बातें जानकर मुझे तुमसे और भी ज़्यादा प्यार हो गया।मैं भी तुम्हें कभी खोना नहीं चाहता।
आज ,अभी मैं तुमसे अपनी ज़िंदगी की सारी बातें बताना चाहता हूँ।क्योंकि मैं तुम्हें अपना हिस्सा समझता हूँ।तुम्हें सिर्फ़ देख कर ही लगता था।कि तुम अच्छी लड़की हो।पर तुम्हें जानने के बाद मुझे तुमसे दूर होने का डर लगने लगा।
फिर वीर ने प्रिया से ये भी कहा कि आज जवाब मत दो,, पर मुझे इज़हार करने से रोकना मत। ये सुनने के बाद प्रिया के दिल में आज खुशी का जश्न चल रहा था।
ऐसा महसूस हुआ जैसे आज खुदा ने हर मन्न्त पूरी करदी।
अगले दिन की सुबह जब पहली बार कॉल पर बात होने जस रही थी।प्रिया को लगा,, शायद रात में वीर ने जो भी कहा अभी भूल गया हो।शायद रात में उसने नशे में बात की हो।
(ऐसा है प्यार और डर दोनों की अपनी अलग ही सीमा होती है)
प्रिया- हेलो!!! कैसे हो आप
वीर-मुझे तुमसे प्यार हो गया है ! बोहोत सारा वो भी...मैं कैसे ठीक रहूंगा।।तुमने जवाब भी न दिया अब तक,,,
प्रिया- आपको सब याद है,,, मुझे लगा मैं सपना देख रही थी या शायद आपने ऐसे ही सब बोल दिया।
फिर वीर ने अपनी ज़िंदगी की अब तक सारी बातें कह सुनाई।
आज की, कल की , और आने वाले कल के हर लम्हे को प्रिया के साथ ही गुज़ारने की बात की।।
फिर क्या,,प्रिया की आंखों में खुशी के आंसू आ पड़े। फिर प्रिया जो अब तक सिर्फ़ अपने मन मे ही बोलती थी। आज वीर को केह सुनाया और दिल का बोझ हल्का किया। अपने सच को स्वीकार वीर की ज़िंदगी में दस्तक़ देदी।वीर ने बहुत ही प्यारे शब्दों में अपने प्यार का फिर इज़हार किया।कहा कि ज़िन्दगी अब तक कट रही थी ,,अब तुम सुकून बन गयी हो मेरे दिल का।कुछ ऐसे ही अहसास प्रिया के दिल में न जाने कब से थे,,जो आज पंख लगा आसमान की ओर उड़ पड़े।वीर का प्यार प्रिया की ज़िंदगी ढेर सारी खुशियाँ ले कर आ गया था।हर रात प्रिया यही सोचती कहीं सपना तो नहीं,, के फिर अचानक नींद खुले और मैं कहुँ कि कितना प्यारा सपना देखा।
अब से हर रोज़ सुबह,शाम ,रात तक बातचीत होने लगी।यूँ गुज़रने लगा वक़्त,,
वक़्त के साथ वीर के प्यार में कोई कमी नहीं बल्कि पहले से ज़्यादा हर रोज़ ज़्यादा ही बढ़ने लगा।अब उनकी प्रेम कहानी में पहली मुलाकात होने वाली थी।जो लड़की कभी सामने से वीर को नज़र भर देखी भी न थी,,,अब मुलाकात मुकम्मल की ख्वाईश कर रही थी।
हर रात यही सोच में कट रही थी।कि नज़रें कैसे मिलाऊंगी।कैसे बात होगी,,केसी मुलाक़ात होगी।फ़िलहाल अब वो दिन भी आ ही गया,,जब वीर प्रिया की पहली मुलाकात होने वाली थी।
वीर, प्रिया का बहुत ख़्याल रखता था।उसकी परेशानी, डर,तबियत से लेकर घर तक।वीर को हर बात की ख़बर थी।
पहली मुलाकात का डर चेहरे से न झलके इसलिए उस दिन प्रिया घर पे ज़रा कम बात कर रही थी।वहां वीर समय से पहले आकर प्रिया के इंतज़ार में बैठ गया।
रिश्तों में "समझदारी" की एक मुख्य भूमिका होती है।जो इस बात से पता चलती है कि वीर भूखा प्यासा होकर भी प्रिया को कॉल नहीं किया।बल्कि बस इंतज़ार ही कर रह था। पूरे 2 घण्टे के बाद प्रिया कस कॉल गया।फिर जैसे ही प्रिया को पता चला वीर घर के बाहर 2 घण्टे से इंतज़ार कर रहा है। प्रिया ने फिर कुछ न सोचा बस दाये देखा न बाएं।बढ़ते हुए जैसे ही उसकी नज़र वीर को ढूंढ रही थी।सामने से कार में बैठा हुआ वीर को देख,,,प्रिया का दिल ज़ोरो से शोर करने लगा।चुपचाप ,घबराई हुई,डरी हुई प्रिया कार में वीर के साइड वाली सीट पे बैठ गई।
घर से हाइवे रोड पे निकल पड़े दोंनो।अब तक छुप कर देखना ज़्यादा सरल था अभी तो आवाज़ ही नही है मुँह में,,,ऐसा सोचने लगी प्रिया,,,,
दोंनो हाथों को मसलते हुए धीरे -धीरे जवाब दे रही थी कि अचानक वीर ने प्रिय का हाथ पकड़ लिया।
ये क्या धड़कनों का बढ़ना जैसे शुरू हो गया।ये देख वीर ने कहा सॉरी शायद तुम्हें अच्छा नहीं लगा।
वीर को ऐसा लगा कि प्रिया उसके साथ डर रही है।ये बात वीर को परेशान करने लगी।वीर ने कहा क्या हुआ।
मैं वही हूँ।जिससे तुम प्यार करती हो।तुम डरो मत,,मुझे अच्छा नहीं लग रहा।मैं कोई अजनबी तो नहीं।तुम तो पहले से जानती हो न!....फिर.....
फिर प्रिया को अच्छा महसूस हुआ थोड़ा डर भी कम हुआ,,फिर वीर का हाथ डालने हाथ में लेकर प्रिया ने कसकर पकड़ते हुए उसे चूम लिया।.....
"प्रिया का इतना डरना वास्तव में आज के समय में थोड़ा अजीब लगे...
पर सच तो यही है,, प्रिया आज के ज़माने में पुराने ज़माने वाले प्यार की तलाश में थी।उसकी ज़िंदगी में "रिश्तों" और खुद से कही जसने वाली बातों का बहुत महत्व था।
शायद यही वजह थी,,के प्रिया इतना डरती थी हर बात से।
पर जो प्यार करता है,, वो हर बात को बखूबी समझता है।वीर भी कुछ ऐसा ही था।
आगे जानेंगे वीर - प्रिया की कहानी में उनकी मुलाकात के सुंदर किस्से।।।।
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