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लोग क्या कहेंगे?

लोग क्या कहेंगे?

यह सवाल हमारी इच्छाओं को दिल के अलमारी में क़ैद कर देता है। हमारा अच्छा हुआ, तो लोग ईर्ष्या के भाव से बातें करते है और बुरा हुआ तो बुराई भी करते है। किसी ने खूब कहा है, "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है केहना" ...लोगों के बारे में सोचते रह गए तो खुद को कभी जान नहीं पाओगे। खुद कि खुशी से कभी वाकिफ नहीं होंगे, इसीलिए खुद पर भरोसा करना और अपनी मेहनत से कामयाबी हासिल करना ।
जब मंज़िल मिलेगी तब यही लोगों कि बोलती बंद होंगी। जो कहते हैं कि हम तुम्हारे अपने है, वही कामयाबी के शिखर पर देखकर जलने लगेंगे।
तुमने कुछ अच्छा किया या तुमसे गलती हो, लोग बातें करते ही हैं।
किसी के लिए कुछ अच्छा किया तो लोग उसकी तारीफ करते नहीं, लेकिन ग़लती से भी उनकी बात नजरंदाज हुई तो बातें सूनाने में देर नहीं लगती।
लोगों को दूसरों की असफलता दिखती है, लेकिन उसकी मेहनत नहीं देख पाते। हारने पर उसका हौसला बढ़ाना नहीं आता, लेकिन कमजोरी पर उजाला डाला जाता है।
कोई fashionable रहे या simple रहे, उनकी मर्ज़ी। लेकिन देखने वाले कहा चुप बैठेंगे।
दूसरों के बारे में सोचने से पहले अपनी और अपनों कि खुशी के बारे में सोचों। लोगों के डर से खुद पर जो विश्वास है, कभी कम ना होने देना। जो तुम्हें अच्छा लगे वो करते रहना। लोगों की नहीं बल्कि अपने मन की सुनना चाहिए।
ये लोग कब समझेंगे कि, ज़िन्दगी सबकी अलग है?? दूसरों को देखने से अच्छा है खुद को देखो। आप दूसरों के बारे में भला बुरा कहोगे तो कोई तो होगा जो आपके बारे में भी कह रहा होगा।

© kk_jazbaat

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