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"पुरुष और प्रेम: एक अनकही प्यास"
पुरुषों को सदैव प्रेम से दूर रखने की परंपरा हमारे समाज ने गहरी जड़ें दे रखी हैं। बचपन से ही उन्हें इस ढांचे में ढाला जाता है कि बड़े होकर वे परिवार की जिम्मेदारियों को संभाल सकें, एक मजबूत और कठोर व्यक्तित्व बन सकें। मां का स्नेह, जो हर बच्चे का पहला अधिकार होता है, उसे भी पुरुष बच्चों से सीमित कर दिया जाता है—जैसे ही वह समझने लगता है कि प्रेम क्या है, पढ़ाई और अनुशासन के नाम पर उसे धीरे-धीरे मां की गोद से दूर कर दिया जाता है। मां-बेटे का रिश्ता अक्सर केवल खाना और रसोई तक सिमटकर रह जाता है।

इस प्रक्रिया में पुरुष के हृदय को कठोर बनाने की...