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उम्मीदें
ये उम्मीद लोगो को बहूत ही दुख देती है
हम किसी से जहाँ तक उम्मीद रखते और अगर वो इंसान हमे उतना जरूरी नहीं समझे तो फिर मायूसी ही रहती है

दोस्ती , प्यार या कोई भी रिश्ता हो उम्मीद हम रखते है
तो सामने वाला अगर हम उतना importance नहीं दे तो वो फिर नहीं सम्भलते है

किसी से उतना उम्मीद रखना मानो आगे जाकर पछताना
क्योंकि वो तो बस formality के लिए रिश्ता रखते हैं

ज़िंदगी में आए लोग या social media पर मिले इंसान कभी उनसे उम्मीद नहीं रखना चाहिए
क्योंकि कब उम्मीद हमारी टूट जाए कब लोग बदल जाए ये तय नहीं होता

ये कोई कहानी या कविता नहीं है
कई लोगो के ज़िंदगी मे ये अवश्य हुआँ होगा

इस लिए अपनी उम्मीद को कम कीजिए
फिर तकलीफ भी उतना नहीं होगा