...

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माँ-बेटा
एक छोटी-सी दुनिया में
माँ-बेटे का बसेरा था ,
जगती रहती माँ बेचैनी-सी
इंतज़ार का सवेरा था,
नन्हें-से बालक को देख
माँ सोचा करती,
कैसे पेट भरूँ इसका
मैं तो ख़ुद भूखे रहती,
पिता उसका ऋषि
छोड़ दिया सारा कृषि,
त्याग दिया माँ-बेटे को
सोचा बस ख़ुद के भले की,...