...

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माँ-बेटा
एक छोटी-सी दुनिया में
माँ-बेटे का बसेरा था ,
जगती रहती माँ बेचैनी-सी
इंतज़ार का सवेरा था,
नन्हें-से बालक को देख
माँ सोचा करती,
कैसे पेट भरूँ इसका
मैं तो ख़ुद भूखे रहती,
पिता उसका ऋषि
छोड़ दिया सारा कृषि,
त्याग दिया माँ-बेटे को
सोचा बस ख़ुद के भले की,
कहाँ जाऊँ , क्या करूँ
सोचके माँ रोई बहुत,
नन्हें-से जान को
खतरा है बहुत,
चारों तरफ़ बादल छाई
फ़िर एक आवाज़-सी आई,
अपने दम पर बेटे को पाल
तभी कुछ करेगा तेरा लाल,
माँ ने ख़ुद को लगा दिया काम पर
मेहनत की माँ ने जी-जान लगाकर,
बेटे को पाला -पोषा
बड़ा कर अच्छा इंसान बनाया,
एक दिन माँ पड़ गई बीमार
डॉक्टर ने किया इलाज,
माँ नहीं हो सकती ठीक
डॉक्टर ने दिया जवाब़,
सुनकर बातें सारी
बेटा हुआ निराश़,
माँ होगी ठीक
लगाए बैठा आश,
बेटे ने ईश्वर का दरवाज़ा खटखटाया
कहा- नहीं कोई माँ के सिवा मेरा,
गर हो गया माँ को कुछ
तो क्या हाल होगा मेरा ,
ईश्वर ने सुन‌‌ ली उसकी पुकार
माँ की तबीयत़ में हुआ सुधार,
माँ को ठीक देख बेटा ख़ुश रहने लगा
दिन-रात माँ की सेवा करने लगा ,
अब नहीं थी कोई परेशानी
माँ-बेटे ख़ुशी से रहने लगे ,
माँ-बेटे का प्यार देख
ईश्वर भी मंद-मंद मुस्कुराने लगे ।

© my feelings