"मां का कम्बल "
सर्दियों के मौसम में एक बूढ़ी औरत अपने घर के कोने में ठंड से तड़प रही थी। जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था। घर मे एक छोटा बेटा था। बेटे के उज्ज्वल भविष्य के लिये उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया,
काम करते करते बहुत थक जाती थी लेकिन फिर भी आराम नही करती थी। हमेशा एक बात याद करके फिर काम मे लग जाती थी कि जिस दिन बेटा लायक हो जाएगा तभी आराम करेगी।
देखते देखते समय बीत गया माँ बूढ़ी हो गयी और बेटे को एक अच्छी नौकरी मिल गयी कुछ समय बाद बेटे की शादी कर दी और एक बच्चा हो गया ।
अब बूढ़ी माँ बहुत खुश थी उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया उसका बेटा लायक हो गया अब उसका बेटा उसकी हर ख्वाहिश पूरी करेगा।
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काम करते करते बहुत थक जाती थी लेकिन फिर भी आराम नही करती थी। हमेशा एक बात याद करके फिर काम मे लग जाती थी कि जिस दिन बेटा लायक हो जाएगा तभी आराम करेगी।
देखते देखते समय बीत गया माँ बूढ़ी हो गयी और बेटे को एक अच्छी नौकरी मिल गयी कुछ समय बाद बेटे की शादी कर दी और एक बच्चा हो गया ।
अब बूढ़ी माँ बहुत खुश थी उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया उसका बेटा लायक हो गया अब उसका बेटा उसकी हर ख्वाहिश पूरी करेगा।
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