आखिरी पत्र
नवीन सुनीता नाम की एक लड़की से बहुत प्यार करता था। सुनीता भी उससे प्यार करती थी, पर उसको बताने से डरती थी। दोनों एक-दूसरे के अच्छे मित्र थे, इसलिए दोनों एक-दूसरे से मिलते ही रहते थे।
धीरे-धीरे जब नवीन के लिए सुनीता के बिना रहना मुश्किल हो गया तब उसने हिम्मत करके सुनीता को अपने दिल की बात बता दी। सुनीता ने भी नवीन को अपने दिल की बात बता दी। इस तरह दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई।
दोनों बहुत खुश थे। समय बीतता गया और उनका प्यार और गहरा होता चला गया। दोनों शादी के सपने देखने लग गए। सुनीता ने नवीन से कहा कि हम काॅलेज की पढ़ाई पूरी होते ही शादी कर लेंगे। नवीन ने भी उसकी हां में हां मिला दी।
देखते-ही-देखते उनकी काॅलेज की पढ़ाई पूरी हो गई। सुनीता ने नवीन से कहा,"अब तो हमारी पढ़ाई भी पूरी हो गई है। चलो अब हम अपने-अपने घर वालों से शादी की बात करते हैं।"
उसकी बात सुनकर नवीन बोला,"कैसी शादी और किसने कहा कि मैं तुमसे शादी कर रहा हूं।"
नवीन की बात सुनकर सुनीता आवाक रह गई और फिर नवीन से बोली,"ये क्या मज़ाक कर रहे हो नवीन तुम। देखो मुझे ऐसा मज़ाक बिल्कुल भी पसंद नहीं है।"
नवीन सुनीता से बोला,"मैं कोई मज़ाक नहीं कर रहा। ये सच है।"
सुनीता गुस्से में बोली,"सच! अगर ये सच है तो वो क्या था जो तुम पहले बोलते थे कि तुम मुझसे प्यार करते हो।"
नवीन हंसते हुए,"क्या यार तुम भी कितनी भोली हो जो मेरे उस मज़ाक को सच समझ बैठी।"
सुनीता ने रोते हुए फिर से नवीन से पूछा,"नवीन प्लीज़ ऐसा मत बोलो, देखो ये सब बातें मुझे बहुत दर्द पहुंचा रही है। "
नवीन,"दर्द तो आज तक मैं सहन कर रहा हूं तुम्हारे साथ रहने का। बस अब और नहीं अब तुम अपने रास्ते और मैं अपने।"
इतना कहकर नवीन वहां से चला जाता है। सुनीता रोती रह जाती है, पर वो उसकी एक भी बात नहीं सुनता। सुनीता उसको फोन भी करती रहती है, पर वो फोन भी नहीं उठाता। परेशान होकर एक दिन सुनीता नवीन के घर चली जाती है। वहां से भी नवीन उसको बेइज्जत करके बाहर निकाल देता है।
इस तरह नवीन सुनीता से अपने सारे रिश्ते खत्म कर लेता है। कुछ समय बाद सुनीता के लिए दीपक नाम के लड़के का रिश्ता आता है। दीपक पेशे से एक डाक्टर होता है।...
धीरे-धीरे जब नवीन के लिए सुनीता के बिना रहना मुश्किल हो गया तब उसने हिम्मत करके सुनीता को अपने दिल की बात बता दी। सुनीता ने भी नवीन को अपने दिल की बात बता दी। इस तरह दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई।
दोनों बहुत खुश थे। समय बीतता गया और उनका प्यार और गहरा होता चला गया। दोनों शादी के सपने देखने लग गए। सुनीता ने नवीन से कहा कि हम काॅलेज की पढ़ाई पूरी होते ही शादी कर लेंगे। नवीन ने भी उसकी हां में हां मिला दी।
देखते-ही-देखते उनकी काॅलेज की पढ़ाई पूरी हो गई। सुनीता ने नवीन से कहा,"अब तो हमारी पढ़ाई भी पूरी हो गई है। चलो अब हम अपने-अपने घर वालों से शादी की बात करते हैं।"
उसकी बात सुनकर नवीन बोला,"कैसी शादी और किसने कहा कि मैं तुमसे शादी कर रहा हूं।"
नवीन की बात सुनकर सुनीता आवाक रह गई और फिर नवीन से बोली,"ये क्या मज़ाक कर रहे हो नवीन तुम। देखो मुझे ऐसा मज़ाक बिल्कुल भी पसंद नहीं है।"
नवीन सुनीता से बोला,"मैं कोई मज़ाक नहीं कर रहा। ये सच है।"
सुनीता गुस्से में बोली,"सच! अगर ये सच है तो वो क्या था जो तुम पहले बोलते थे कि तुम मुझसे प्यार करते हो।"
नवीन हंसते हुए,"क्या यार तुम भी कितनी भोली हो जो मेरे उस मज़ाक को सच समझ बैठी।"
सुनीता ने रोते हुए फिर से नवीन से पूछा,"नवीन प्लीज़ ऐसा मत बोलो, देखो ये सब बातें मुझे बहुत दर्द पहुंचा रही है। "
नवीन,"दर्द तो आज तक मैं सहन कर रहा हूं तुम्हारे साथ रहने का। बस अब और नहीं अब तुम अपने रास्ते और मैं अपने।"
इतना कहकर नवीन वहां से चला जाता है। सुनीता रोती रह जाती है, पर वो उसकी एक भी बात नहीं सुनता। सुनीता उसको फोन भी करती रहती है, पर वो फोन भी नहीं उठाता। परेशान होकर एक दिन सुनीता नवीन के घर चली जाती है। वहां से भी नवीन उसको बेइज्जत करके बाहर निकाल देता है।
इस तरह नवीन सुनीता से अपने सारे रिश्ते खत्म कर लेता है। कुछ समय बाद सुनीता के लिए दीपक नाम के लड़के का रिश्ता आता है। दीपक पेशे से एक डाक्टर होता है।...